अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ घटाने में भारत का फायदा, झट से बढ़ जाएगा निर्यात

वैश्विक स्तर पर टैरिफ वॉर (व्यापारिक युद्ध) शुरू करने के बाद अमेरिका ने आगामी दो अप्रैल से भारत के साथ पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है। फैसले को लागू करने में ट्रंप प्रशासन की तत्परता को देखते हुए भारत के साथ पारस्परिक शुल्क को लागू करना तय माना जा रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अमेरिका से आने वाले औद्योगिक वस्तुओं के शुल्क को कम कर देता है या खत्म कर देता है, तो इससे भारतीय निर्यात में ही बढ़ोतरी होगी।

कृषि संबंधित आइटम पर भारत औसतन 37 प्रतिशत शुल्क वसूलता है, लेकिन किसानों से जुड़े होने के नाते कृषि आइटम से जुड़े शुल्क को कम करना मुश्किल दिख रहा है। विशेषज्ञ पारस्परिक शुल्क को दो तरह से लागू करने की बात कह रहे हैं। एक तरीका यह होगा कि मान लीजिए कृषि आइटम पर भारत औसतन 37 प्रतिशत शुल्क वसूलता है और अमेरिका अभी पांच प्रतिशत शुल्क लेता है। आइटम के आधार पर पारस्परिक शुल्क वसूलने पर अमेरिका भी भारत के कृषि आइटम पर औसतन 37 प्रतिशत का शुल्क वसूलेगा।

पारस्परिक शुल्क लगाने का दूसरा तरीका यह है कि भारत लगभग 80 अरब डॉलर का अमेरिका को निर्यात करता है और अमेरिका लगभग 40 अरब डॉलर का करता है तो अमेरिका की कोशिश होगी कि व्यापार बढ़ाकर इस अंतर को कम किया जाए और शुल्क वसूली से होने वाली दोनों देशों की कमाई में भी अंतर नहीं रहे। ऐसे में भारत अमेरिका से पहले की तुलना में पेट्रोलियम पदार्थों का अधिक आयात कर सकता है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (फियो) के आगामी अध्यक्ष एस.सी. रल्हन कहते हैं कि टेक्सटाइल आइटम पर भारत अमेरिका के लिए अपने शुल्क जीरो कर देता है तो भारतीय गारमेंट व लेदर पर भी अमेरिकी बाजार में जीरो शुल्क हो जाएगा और इससे फायदा यह होगा कि भारतीय उत्पाद अमेरिका के बाजार में वियतनाम, कंबोडिया व बांग्लादेश की तुलना में सस्ते हो जाएंगे और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

मोबाइल फोन व अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम के निर्यात पर भारत से अमेरिका सिर्फ 0.4 प्रतिशत का शुल्क वसूलता है जबकि भारत अमेरिका से इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम के लिए 7.64 प्रतिशत का शुल्क लेता है। भारत अगर इसे शून्य कर देता है तो अमेरिका में भारतीय मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स पर कोई शुल्क नहीं लगेगा और निर्यात और बढ़ जाएगा। चीन के इलेक्ट्रानिक्स आइटम पर अमेरिका में अब 30 प्रतिशत का शुल्क लगेगा।

फियो के महानिदेशक व सीईओ अजय सहाय के मुताबिक कृषि आइटम को छोड़कर औद्योगिक आइटम पर शुल्क कटौती करने से भारतीय निर्यात को फायदा होगा। इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, जेम्स व ज्वेलरी, टेक्सटाइल व क्लोदिंग, लेदर, केमिकल, डायमंड व ऑटोमोबाइल जैसे आइटम का भारत मुख्य रूप से निर्यात करता है। इन आइटम का अमेरिका भारत में काफी कम मात्रा में निर्यात करता है। ऐसे में औद्योगिक वस्तुओं के शुल्क में कटौती से ऐसा नहीं होगा कि अमेरिका का इन वस्तुओं का निर्यात बढ़ जाएगा।

फार्मा एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पूर्व चेयरमैन दिनेश दुआ ने बताया कि पारस्परिक शुल्क लगने से दवा निर्यात पर कोई असर नहीं होगा। भारत अमेरिका को 12 अरब डॉलर का निर्यात करता है और अमेरिका के पास दवा के लिए कोई बहुत विकल्प नहीं है। अमेरिका भारत से दवा निर्यात पर 1.06 प्रतिशत का शुल्क वसूलता है तो भारत 9.68 प्रतिशत का। इसे कम कर देने पर दवा निर्यात अमेरिका में और बढ़ सकता है।

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