ट्रंप के नए फैसले से अदाणी ग्रुप को मिली बड़ी राहत, शेयर मार्केट में आई शानदार तेजी

शेयर मार्केट में आज यानी मंगलवार (11 फरवरी 2025) को चौतरफा गिरावट का माहौल है। लेकिन, अदाणी ग्रुप के शेयरों में अच्छी तेजी देखने को मिल रही है। अरबपति कारोबारी गौतम अदाणी की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को सबसे ज्यादा फायदा हुआ। इसका स्टॉक 4.28 फीसदी तक बढ़ गया। अदाणी पावर के शेयर 4.17 फीसदी तक चढ़े, और अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के स्टॉक्स में 3.34 फीसदी तक की तेजी आई। एनडीटीवी के शेयरों में भी 3.84 तक का इजाफा हुआ। अदाणी ग्रुप के शेयरों में इस तेजी की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फैसला है।

क्या है पूरा मामला

अदाणी ग्रुप के मालिक गौतम अदाणी और उनकी कुछ कंपनियों पर अमेरिका में कथित तौर पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप लगे थे। यह एक्शन 1977 के विदेशी भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम (Foreign Corrupt Practices Act – FCPA) के तहत लिया गया था। लेकिन, अब ट्रंप ने इस कानून पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है।

FCPA क्या है?

FCPA, 1977 में एक सख्त कानून है, जो अमेरिकी कंपनियों और नागरिकों को विदेशी सरकारी अधिकारियों को बिजनेस में फायदा उठाने के लिए रिश्वत देने से रोकता है। इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय बिजनेस में नैतिकता और पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।

ट्रंप ने क्या आदेश किया?

डोनाल्ड ट्रंप ने न्याय विभाग को आदेश दिया है कि वह FCPA के तहत चल रहे सभी जांच और मामलों को रोक दें। यह रोक तब तक जारी रहेगी, जब तक ट्रंप के निर्देश के हिसाब से अमेरिकी अटॉर्नी जनरल नए दिशानिर्देश जारी नहीं करते हैं। इससे अदाणी ग्रुप को भी बड़ी राहत मिलेगी, जिसके खिलाफ FCPA के तहत ही मामला चल रहा है।

ट्रंप ने FCPA पर रोक क्यों लगाई?

FCPA को लेकर ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इस कानून में कई खामियां हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। यह एक्ट अमेरिकी कंपनियों के लिए वैश्विक व्यापार के अवसरों को मुश्किल बना रहा था, खासकर महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे खनिज, बंदरगाह, और इन्फ्रास्ट्रक्चर में।

अब आगे क्या बदलाव हो सकता है?

FCPA के तहत अमेरिका की गोल्डमैन सैक्स जैसी कंपनियों पर मलेशियाई सॉवरेन फंड घोटाले में शामिल होने के लिए भारी जुर्माना लगा था। ऐसे में अगर ट्रंप प्रशासन FCPA के प्रावधानों को कमजोर करके अमेरिकी कंपनियों को रियायत देता है, तो वे वैश्विक स्तर पर तेजी से विस्तार कर पाएंगी। इसके लिए उन्हें सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत देने की छूट भी मिल जाएगी। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह वैश्विक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक कदम पीछे खींचने जैसा है।

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