खालिस्तानियों की आलोचना करने वालों के सोशल मीडिया अकाउंट पर भारत ने लगाया बैन, जानिए वजह…

कनाडा में खालिस्तान समर्थक लगातार भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं और हाल के दिनों में इसमें बढ़ोतरी भी हुई है। भारत सरकार ने कई बार इसे लेकर कनाडा को चेताया भी है। हालांकि अब एक केंद्र सरकार ने एक चौंकाने वाला कदम उठाया है। सरकार ने सोशल मीडिया कंपनी X से खालिस्तान के प्रचार की आलोचना करने वाले दो हैंडल को ब्लॉक करने के लिए कहा है। ये अकाउंट पत्रकारों के हैं और कंपनी ने इस बात की पुष्टि की है कि उसे सरकार की तरफ से यह अनुरोध मिला था।

ब्लॉक किए गए हैंडल कैलगरी स्थित स्वतंत्र पत्रकार मोचा बेजिरगन और पत्रकार ‘वी’ के हैं जो टोरंटो और कैलिफोर्निया में रहते हैं। गुरुवार को उन्हें इस नोटिस के बारे में जानकारी मिली। नोटिस में कहा गया है कि यह मांग इसलिए की गई क्योंकि यह माना गया कि अकाउंट में जो चीजें हैं वह भारत के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का उल्लंघन करती है। एक्स ने उन्हें बताया कि इस कानून की वजह से भारत में उन पर प्रतिबंध रहेगा। हालांकि यह दूसरे देशों में मौजूद रहेगी।

पत्रकार मोजा कनाडा में खालिस्तान समर्थक कार्यक्रमों की रिपोर्टिंग करते आए हैं। उन्होंने बीते रविवार को कैलगरी में सिख फॉर जस्टिस की आयोजित खालिस्तान रेफरेंडम की भी रिपोर्टिंग की थी। कनाडा ने उन पर भारत द्वारा संचालित जासूसी नेटवर्क का हिस्सा होने का आरोप भी लगाया है। उन्हें कई धमकियां भी मिली हैं। जुलाई में अर्शदीप हंस के नाम के शख्स ने लिखा था, “तुम्हारे दिन पूरे हो गए हैं। मैं जल्द ही कैलगरी आ रहा हूँ। जब भी दिखोगे मैं तुम्हें मार डालूंगा।”

वहीं हिंदुस्तान टाइम्स को भेजे गए एक संदेश में पत्रकार वी ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया, “उत्तरी अमेरिका में भारत के प्रवासी लोगों के मुद्दों को कवर करने वाले एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में मैं यह देखकर हैरान हूं कि भारत में मेरा ट्विटर अकाउंट बंद कर दिया गया है। उत्तरी अमेरिका में खालिस्तानी चरमपंथियों पर रिपोर्टिंग करने वाले दूसरे पत्रकारों को भी इसी तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है।” उन्होंने कहा कि वह इसके पीछे के कारण को जानने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मेरा लक्ष्य उत्तरी अमेरिका में खालिस्तान समर्थक चरमपंथ की मौजूदगी के बारे में तथ्यों को सामने लाना था जो भारतीय प्रवासियों के लिए चिंता का विषय बन गया है।” उन्होंने बताया कि पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सर्रे में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडाई मीडिया उसकी असली पहचान को छुपा रहा था और भारतीय मीडिया की रिपोर्टों को सरकारी प्रोपेगंडा बता कर खारिज कर रहा था।

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