जानिए क्यों पिया जाता है शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल, शिव महापुराण में मिलता है उल्लेख
सावन माह शुरू हो चुका है। शिवालयों में भगवान शिव का अनुष्ठान किया जा रहा है। इस दौरान महादेव के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। मान्यता है कि सावन सोमवार के व्रत रखने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
हिंदू धर्म में शिवलिंग के पूजन का विशेष महत्व है। इसका जलाभिषेक करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। लोगों में इस बात का भी संशय रहता है कि क्या शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल पीना चाहिए या नहीं। इस सवाल का जवाब आपको यहां देते हैं।
शिव पुराण के 22 अध्याय के 18 श्लोक में शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल पीने का उल्लेख किया गया है। मान्यता है कि अनुसार यह जल पीने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है और मन शांत रहता है। साथ ही इससे नकारात्मक ऊर्जा का भी नाश होता है और मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है।
इन नियमों का करें पालन
शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल पीने के कुछ नियम भी बताए गए हैं। इसके अनुसार इसे चरणामृत के समान ही सम्मान देकर पीना चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद इसे थोड़ा-थोड़ा कर तीन बार पी सकते हैं। यह जल पीने के दौरान शिवलिंग को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
न करें ये गलती
शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल पीने के दौरान इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह किसी के पैर पर गिरे। वरना इसके शुभ फल प्राप्त नहीं होते।