लाखन भैया मुठभेड़ मामले में निचली अदालत का फैसला बरकरार, बॉम्बे HC ने सुनवाई कर सुनाया फैसला

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2006 के लाखन भैया मुठभेड़ मामले से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई की। फर्जी मुठभेड़ मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए मंगलवार को 12 आरोपियों की निचली अदालत की सजा को बरकरार रखा है।

ट्रायल कोर्ट ने 13 अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया था और पूर्व पुलिसकर्मी और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को बरी कर दिया था। लेकिन हाईकोर्ट ने प्रदीप शर्मा की बरी को रद्द कर दिया और सबूतों की एक श्रृंखला के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया। मामले में सुनवाई करते हुए कुल 13 आरोपियों को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोषी ठहराया है। प्रदीप शर्मा एंटीलिया विस्फोटक और मनसुख हिरेन हत्या मामले में भी आरोपी हैं।

क्या है पूरा मामला?

33 वर्षीय वसई निवासी लखन भैया का असली नाम रामनारायण गुप्ता था, जिस पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज था। उसे 11 नवंबर, 2006 को मुंबई पुलिस की एक टीम ने छोटा राजन गैंग के संदिग्ध सदस्य के रूप में हिरासत में लिया था। उसी दिन शाम को पश्चिमी मुंबई के वर्सोवा में लखन भैया का एनकाउंटर हो गया।

इस कथित फर्जी मुठभेड़ का नेतृत्व पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा ने किया था। वर्ष 2013 में मुंबई की एक सत्र अदालत ने इस मामले में 13 पुलिसकर्मियों सहित 21 लोगों को दोषी ठहराया और सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने मामले में प्रदीप शर्मा को बरी कर दिया था। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की पीठ मुठभेड़ मामले में दोषी ठहराए गए लोगों द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही थी।

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