महादेव ऐप घोटाले की चार्जशीट में नाम आने पर भूपेश बघेल ने तोड़ी चुप्पी, ED पर लगाए आरोप

महादेव ऐप केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में नाम आने पर छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। शनिवार को भूपेश बघले ने इस मामले में सफाई देते हुए ईडी पर कई आरोप लगाए और दावा किया कि आरोपियों पर दबाव बनाकर उन्हें फंसाने की साजिश रची जा रही है।  

भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर कहा कि ईडी साजिश के तहत लोगों को गिरफ्तार करके उनके खिलाफ बयान दिलवा रही है। बघेल ने कहा, ‘प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जिस तरह से मेरा नाम लिखा है, वह पूरी तरह से राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है। ईडी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर कूटरचना कर लोगों को गिरफ्तार कर रही है और उनसे दबावपूर्वक मेरे और मेरे सहयोगियों के खिलाफ बयान दिलवा रही है। इन बयानों में जो पैसों के लेनदेन के आरोप लगाए गए हैं उनका कोई आधार नहीं है।’

बघेल ने कहा कि जिस असीम दास के पास से रुपए बरामद हुए थे उसने जेल से अपने हस्तलिखित बयान में कह दिया है कि उन्हें भी धोखे में रखकर फंसाया गया है और उन्होंने कभी किसी राजनेता व उनसे जुड़े लोगों को पैसा नहीं पहुंचाया।अब ईडी दावा कर रही है कि उसने यह बयान भी वापस ले लिया है। यह किस दबाव में हो रहा है, उसे सब जानते हैं। बघले ने कहा, ‘अब सवाल यह है कि ईडी ने जिस दिन कथित रूप से असीम दास से रुपए बरामद किए थे उस घटना की पूरी रिकॉर्डिंग ईडी के पास है। इसका मतलब है कि पूरी घटना पूर्व नियोजित थी और इसका मतलब यही है कि इसकी कूटरचना ईडी ने ही की थी।’

बघेल ने कहा, ‘ईडी ने दावा किया है कि चंद्रभूषण वर्मा ने भी अपना पहले का बयान वापस ले लिया है। हम तो शुरुआत से कह रहे हैं कि ईडी मारपीट से लेकर धमकी देने तक हर हथकंडे अपनाकर मेरा और मेरे सहयोगियों का नाम लेने का दबाव बना रही है। ईडी के नए दस्तावेज से यह और स्पष्ट हो गया है।’

पूर्व सीएम ने कहा कि उन्होंने ही महादेव ऐप घोटाले की जांच शुरू कराई थी और जुआखोरी पर लगाम लगाना चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘महादेव ऐप के घोटाले की जांच मैंने ही मुख्यमंत्री रहते हुए खुद शुरू की थी। मैं चाहता था कि इस पूरे गिरोह का भंडाफोड़ हो और युवाओं को जुआखोरी की ओर धकेल रहे इस अपराध पर रोक लगे। छत्तीसगढ़ सरकार की इस जांच के आधार पर ही ईडी धन-शोधन का मामला बनाकर जांच कर रही है लेकिन दुर्भाग्य है कि ईडी ने जांच को अपराध की बजाय राजनीतिक दबाव व बदनामी का हथियार बना लिया है। महादेव ऐप के पूरे मामले को जिस तरह से राजनीतिक रंग दिया गया है उससे साफ है कि इसका उद्देश्य अब असली अपराधियों को बचाने और राजनीतिक दुष्प्रचार कर भाजपा को फायदा पहुंचाने का ही रह गया है।’

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