छत्तीसगढ़ में ड्रोन से घर पहुंचेगी दवाइयां, अंबिकापुर से होगी शुरूआत, स्वास्थ्य दीदियों के हाथों कमान

ड्रोन टेक्नोलॉजी इन हेल्थ केयर के तहत देश के 25 मेडिकल कॉलेजों में छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर का चयन भी किया गया है। अंबिकापुर के राजमाता देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविध्यालय से ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग करने वालो की एक टीम बनाकर तैयार की जाएगी। ड्रोन टेक्नोलॉजी का यह यह उपयोग यातायात बाधित होने या फिर आपदा की स्थिती के दौरान दवाओं और सैम्पल जमा करने के लिए किए जाएगा। इस विषय की पूरी पढ़ाई मेडिकल कॉलेज में अलग-अलग चरणों में तैयार की जाएगी। 

देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार सरकार नए-नए प्रयास करती रहती हैं।‌ भारत सरकार के द्वारा आपदा के समय टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल किस तरह से किया जाए उसे ध्यान में रखते हुए ड्रोन टेक्नोलॉजी को मेडिकल यूनिट में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। इस योजना का उद्देश्य आपदा, विपदा के समय लोगों को राहत पहुंचाना है।‌ ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर हड़ताल, ट्रैफिक,सड़क दुर्घटना जैसी स्थिति में मेडिकल सुविधा मोहिया करना, साथ ही कोविड जैसी महामारी के वक्त इस तरह की ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग सुरक्षा के दायरे में आता है।‌ ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर भविष्य में मेडिकल सुविधाओं को जल्द से जल्द पहुंचने में सफलता हासिल होगी। 

इसकी शुरुआत सबसे पहले दूरस्थ आदिवासी अंचल होने के नाते छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र के मेडिकल हॉस्पिटल का चयन किया गया है। ड्रोन टेक्नोलॉजी को लेकर हाल ही में मिली जानकारी में यह पता चला है कि यह प्रशिक्षण सबसे पहले महिलाओं को दिया जा रहा है। महिलाओं को ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण देने का तात्पर्य साफ यह है कि स्वास्थ्य विभाग की दीदियां ही इस ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर दवा पहुंचने का कार्य करेंगी।‌ इसके साथ ही मेडिकल कॉलेज के डीन आर मूर्ति के अनुसार मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर का चयन ड्रोन टेक्नोलॉजी इन हेल्थ केयर के लिए किया जाना क्षेत्र के लोगों के लिए गर्व की बात है। जब इस प्रोजेक्ट को लेकर एमओयू पूरा हो जाएगा उसके बाद महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए दिल्ली भेजा जाएगा।

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