सर्दियों में बर्फबारी का लेना चाहते है आनंद, तो इन जघों की करें सैर…
सर्दियों में स्नोफॉल एंजॉय करने तो हर कोई कश्मीर, शिमला या फिर मनाली जा रहा है। इस वजह से यहां लोगों की भीड़ इतनी ज्यादा हो रही है कि घूमने का सारा मजा ही किरकिरा हो जाता है। अगर हम आपसे कहे कि सर्दियों में वंडरलैंड घूमना है…ऐसी जगह जहां चारों तरफ सफेद बर्फ से ढके ऊंचे पहाड़ और जमीन पर ताजी गिरी बर्फ ही बर्फ हो।
लेकिन यहां ज्यादा लोगों की भीड़ नहीं होगी, तो कैसा रहे!
तो फिर अपना विंटर बैग पैक करें और निकल पड़े इन ऑफबीट विंटर डेस्टिनेशंस की ओर। यहां के सांस्कृतिक उत्सवों और लोकल व्यंजनों का स्वाद चखते हुए नये साल का आगाज करना भी बुरा आइडिया नहीं होगा।
चोपता, उत्तराखंड
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में एक शानदार जगह है चोपता जहां दिसंबर से लेकर फरवरी तक चारों तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आती है। यहां से पंच केदार में से एक तुंगनाथ की चढ़ाई शुरू होती है। इसलिए यह जगह काफी अधिक महत्व भी रखता है। लेकिन मजेदार बात यह है कि यहां पर्यटकों की ज्यादा भीड़ नहीं होने की वजह से जो लोग बर्फ को एंजॉय करना चाहते हैं, वे यहां कुछ दिनों के ट्रिप पर आ सकते हैं। यह जगह ट्रेकर्स और हिमालयन बर्ड वॉचिंग के लिए भी बेस्ट मानी जाती है।
मायोडिया पास, अरुणाचल प्रदेश
नवंबर से मार्च तक का समय अरुणाचल प्रदेश का मायोडिया पास एक विंटर वंडरलैंड बन जाता है। यह पास लोअर डिबंग वैली को अरुणाचल प्रदेश के दूसरे हिस्सों से जोड़ता है। जनवरी और फरवरी में यहां हेवी स्नोफॉल होता है, इसलिए अगर आप बर्फ से जमी ठंड को एंजॉय करते हैं तो यह आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन बन सकता है।
मुंशियारी, उत्तराखंड
सर्दियों में उत्तराखंड के कुमायूं क्षेत्र में स्थित मुंशियारी में सिवाय बर्फ सा सफेद रंग के और कोई भी रंग दिखाई नहीं देता है। यहां दिसंबर के अंत से लेकर फरवरी तक आप बर्फबारी एंजॉय कर सकते हैं। इसके साथ ही बर्फ से ढके पहाड़ों और खासतौर पर सूर्योदय-सूर्यास्त के समय पंचचुल्ली का जो नजारा दिखता है, यकिन मानिए वह नजारा आप पूरे जीवन भर याद रखेंगे।
लाचुंग, सिक्किम
अपने शानदार परिदृश्यों की वजह से लाचुंग पूरे साल पर्यटकों की फेवरेट लिस्ट में रहता है। लेकिन दिसंबर से लेकर अप्रैल तक लाचुंग का नाम अगर स्नोई वंडरलैंड रख दिया जाए, तो शायद ही किसी को आपत्ति होगी। पहाड़ों की चोटियों पर जमे बर्फ और यहां की सांस्कृतिक परिदृश्य सर्दियों में अलग ही अनुभव प्रदान करते हैं। फेस्टिवल्स के दौरान जब बौद्ध भिक्षु मास्क लगाकर पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत करते हैं, तो उसे देखने अपने आप में बहुत ही अलग अनुभव होता है। सर्दियों में वैली ऑफ फ्लावर के नाम से मशहूर युमथांग वैली भी बर्फ की मोटी चादर से ढक जाती है।
थांग, लद्दाख
लद्दाख के अधिकांश हिस्सों में सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है लेकिन थांग की खूबसूरती पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती है। लद्दाख के इस क्षेत्र में नवंबर से लेकर मई के पहले सप्ताह तक बर्फ की परत जमी रहती है। लद्दाख के दूसरे हिस्सों से अलग थांग में जाने के लिए भारतीय आर्मी से अनुमति लेने की जरूरत होती है, जो इस जगह को और भी एक्सक्लूसिव बना देती है।
नाको, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश की स्पीति वैली में स्थित नाको में आपको नवंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर फरवरी तक बर्फ मिलेगी। हालांकि यहां इतनी ज्यादा बर्फबारी होती है कि इस समयकाल के दौरान यहां पहुंचना एक चुनौतीपूर्ण टास्क बन जाता है।
नाको और आसपास के गांव, जो इस समय बर्फ की मोटी परत से पूरी तरह से ढके होते है, वहां के लोगों को इस दौरान अपनी रोजमर्रा के कामकाजों को निपटाते हुए देखना एक अलग अनुभव होता है। बर्फ से ढकी पहाड़ की चोटियों के बीच जब सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है तो वह पर्यटकों को दृश्य बेहद शानदार अनुभव प्रदान करता है।
लांबासिंगी, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले में स्थित लांबासिंगी गांव समुद्रतल से लगभग 1024 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अपनी ऊंचाई की वजह से ही इस गांव में सर्दियों के दिनों में तापमान शून्य से नीचे पहुंच जाता है। इसी वजह से इस गांव को दक्षिण का ‘कश्मीर’ कहा जाता है। सर्दियों के मौसम में लांबासिंगी गांव में भी कई दिनों तक सूरज नहीं उगता है।