महाराष्ट्र के मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा- 4 महीने में सरकारी अस्पतालों के कामकाज में सकारात्मक बदलाव…
मुंबई, तीस सितंबर के बाद से 48 घंटों में नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कई शिशुओं सहित इकतीस मरीजों की मौत हो गई थी। जबकि 2 और 3 अक्टूबर के बीच छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 18 मरीजों की मौत दर्ज की गई।
नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में कम समय में कई मरीजों की मौत को देखते हुए महाराष्ट्र के मंत्री हसन मुश्रीफ ने गुरुवार को कहा कि चार महीनों में राज्य द्वारा संचालित चिकित्सा सुविधाओं के कामकाज में सकारात्मक बदलाव लाए जाएंगे।
मुश्रीफ ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही राज्य संचालित अस्पतालों में सभी प्रकार की जटिल सर्जरी करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का उपयोग करने का निर्णय लिया है। हम इसे जल्द से जल्द प्रभावी ढंग से लागू करने का प्रयास करेंगे।”
सरकारी अस्पतालों से जुड़े सभी मेडिकल कॉलेजों में दिखेंगे बदलाव
वहीं, इस मामले को लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा, “मैंने दो महीने पहले ही (मंत्रालय का) कार्यभार संभाला है। मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि आप सरकारी अस्पतालों से जुड़े सभी मेडिकल कॉलेजों में चार महीनों में अच्छे बदलाव देखेंगे – चाहे वह मुंबई हो, पुणे हो, औरंगाबाद हो (छत्रपति संभाजीनगर) या नागपुर। मैं निश्चित रूप से इन अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण और लीवर प्रत्यारोपण जैसी स्वास्थ्य सेवाएं शुरू करूंगा।”
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर शहरों में सरकारी अस्पतालों में हुई मौतों का स्वत: संज्ञान लिया और कहा कि डॉक्टरों द्वारा बिस्तरों, कर्मचारियों और आवश्यक दवाओं की कमी का हवाला देते हुए दिए गए कारणों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
विस्तृत जांच के बाद की जाएगी उचित कार्रवाई- सीएम शिंदे
इससे एक दिन पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि उनकी सरकार ने नांदेड़ अस्पताल में हुई मौतों को बहुत गंभीरता से लिया है और विस्तृत जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि दवाओं और स्टाफ की कमी है।