यूरोप में हीट वेव का कहर, बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर अधिक प्रभाव

पेरिस, यूरोप के कई देशों सहित अमेरिकी राज्यों में भीषण गर्मी कहर बरपा रही है। रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने एक बार फिर लोगों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।

जलवायु परिवर्तन के कारण पड़ रही अधिक गर्मी

विशेषज्ञों का मानना है कि हीट वेव की ऐसी स्थिति जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा हो रही है। विशेषज्ञों ने कहा कि हीट वेव की ये स्थिति मानव शरीर के लिए अत्यधिक खतरनाक साबित हो सकती है। इससे डिहाइड्रेशन, हीटस्ट्रोक और मौत भी हो सकती है।

यूरोप में हीट वेव से 61 हजार से अधिक मौतें

हाल ही में हुए शोध में यूरोप से चौंकाने वाला परिणाम सामने आया है। शोध में पता चला है कि पिछली गर्मियों में यूरोप में 61,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। बताया गया कि 2023 में भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

हीट वेव का स्वास्थ्य पर असर

  • जब हीट वेव यानी की प्रचंड गर्मी पड़ती है, तो इससे थकान, सिरदर्द, बुखार और नींद न आना जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
  • अत्याधिक गर्मी से डिहाइड्रेशन की समस्या सामने आ सकती है और उससे मौत भी होने की संभावना है।
  • अगर तापमान 40 डिग्री से अधिक बढ़ता है तो हीटस्ट्रोक के मामले सामने आ सकते हैं। इसे गर्मी से संबंधित सबसे गंभीर बीमारी माना जाता है।

हीट वेव से सबसे अधिक किसे है खतरा?

  • हीटवेव के दौरान सबसे अधिक खतरा बुजुर्गों और खासकर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को है।
  • जो व्यक्ति पहले से ही स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें इससे अत्याधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
  • जो लोग बाहर काम करते हैं, जैसे निर्माण श्रमिक, उनमें जोखिम का खतरा बढ़ जाता है।

हीट वेव से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

  • हीट वेव के दौरान लोगों को खूब पानी पीना चाहिए और जितना हो सके खुद को ठंडा रखने की कोशिश करनी चाहिए।
  • लोगों को दिन के समय बाहर जाने से बचना चाहिए और अगर संभव हो तो किसी ठंडी जगह कुछ समय बिताना चाहिए।
  • लोगों को शारीरिक परिश्रम या शराब पीने से बचने की भी सलाह देते हैं।

पसीने की ग्रंथि पर सबसे अधिक असर

बता दें कि जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, उनमें पसीने की ग्रंथियां कम हो जाती हैं। इससे बुजुर्ग अपने तापमान को नियंत्रित करने में कम सक्षम होते जाते हैं। हीट वेव के दौरान पसीने की ग्रंथियां दिन-रात काम करती हैं। कुछ समय के बाद, पसीने की ग्रंथियां खत्म हो जाती हैं और कम पसीना निकालती करती हैं, जिससे शरीर का तापमान बढ़ जाता है।

शोध के अनुसार, पिछली गर्मियों में यूरोप में गर्मी के कारण मरने वाले अनुमानित 61,672 लोगों में से अधिकांश 80 वर्ष से अधिक उम्र के थे।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker