गुजरात के दो शहरों में मस्जिद और दरगाहों पर बुलडोजर चलाए जाने से लोगों में गुस्सा
गुजरात के दो शहरों, जहां के स्थानीय निकायों पर भी बीजेपी का शासन है, वहां मंदिर-मस्जिद और दरगाहों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। मध्य गुजरात के दाहोद और सौराष्ट्र के जूनागढ़ शहर में दो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की वजह से मंदिर, मस्जिद, कब्र और दरगाहों को स्थानीय अधिकारी ध्वस्त कर रहे हैं। जूनागढ़ दुनिया में एशियाई शेरों के अंतिम घर के रूप में जाने जाते हैं।
दाहोद में स्थानीय निकाय स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में 10 सड़कों का विस्तार कर रहा है। इसके लिए 11 मई से ध्वस्तीकरण के काम शुरू किए गए हैं। बुलडोजर के ऐक्शन में भगवान गणेश को समर्पित एक मंदिर को गिरा दिया गया। इसके अलावा लगभग एक सदी पुरानी नगीना मस्जिद, तीन दरगाहों, चार और मंदिरों और कई दुकानों के हिस्से को भी जमींदोज कर दिया गया। दाउदी बोहरा समुदाय द्वारा तीर्थयात्रियों के लिए चलाए जा रहे एक विश्राम गृह को भी अधिकारियों ने जमींदोज कर दिया।
प्रशासन की इस कार्रवाई से इलाके के लोगों में भारी रोष है। वहां स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। लोगों का गुस्सा इसलिए भी चरम पर है कि उन्हें विस्थापित होने के लिए सिर्फ पांच दिनों की ही मोहलत दी गई। हालांकि, भाजपा नेता और दाहोद नगर पालिका अध्यक्ष रीना पंचाल ने अधिकारियों से और समय देने का अनुरोध किया था, लेकिन विध्वंस 11 मई को निर्धारित समय पर शुरू कर दिया गया।
इंडिया टुडे के मुताबिक, नगीना मस्जिद दाहोद ट्रस्ट ने दावा किया कि मस्जिद 1926 से उपयोग में है और 1954 से वक्फ की संपत्ति रही है। ट्रस्ट ने तर्क दिया कि दुकानदारों को किराए पर दी गई मस्जिद के आसपास का छह फीट का क्षेत्र अतिक्रमण हो सकता है, लेकिन मस्जिद के दस्तावेजी साक्ष्य लगभग एक सदी पुराने हैं। इसके जवाब में प्रशासन ने कहा है कि वक्त पर ट्रस्ट ने कोई दस्तावेज नहीं दिखाए, इसलिए 19 मई को नमाज के बाद ध्वस्तीकरण का कीर्यवाही शुरू की गई। अब ट्रस्ट ने राहत के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, लेकिन ग्रीष्मावकाश की वजह से मामले की तत्काल सुनवाई नहीं की हो सकी।
जूनागढ़ में भी प्रशासन ने इसी तरह की कार्रवाई की है। प्रशासन जूनागढ़ शहर के मध्य में स्थित उपरकोट किले के जीर्णोद्धार और पुनर्विकास के साथ-साथ पास के नरसिंह मेहता झील के सौंदर्यीकरण कर रहा है। नगर निगम के नोटिस के बाद समस्त मुस्लिम समाज ट्रस्ट ने मई के पहले सप्ताह में अदालत का रुख किया था। ट्रस्ट ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि विध्वंस के लिए सूचीबद्ध कब्रें और दरगाह एक सदी से अधिक पुरानी हैं और उन्हें अनधिकृत नहीं माना जा सकता है, और यह भी कि कब्रों के दस्तावेजी साक्ष्य की खरीद संभव नहीं थी। ट्रस्ट के मुताबिक, नरसिंह मेहता झील के किनारे स्थित सदियों पुरानी जंगलशाह पीर दरगाह को तोड़ दिया गया है।
हाई कोर्ट ने जूनागढ़ नगर निगम को नोटिस जारी किया है। उधर निगम ने खोदियार माता मंदिर को भी गिराने का नोटिस भेजा है। बता दें कि उपरकोट किला मौर्य साम्राज्य के समय का है। कब्रों के अलावा परिसर में शासक महुमद बेगड़ा द्वारा निर्मित जुम्मा मस्जिद, बौद्ध गुफाएं, दो कुएं, पुराने मंदिर और नूरी शाह का मकबरा है, जो स्थानीय जीवन, पारंपरिक मान्यताओं और धार्मिक आयोजनों का हिस्सा रहा है।