ज्येष्ठ माह में इस तरह करें पूजन, पूरी होगी हर मनोकामना

हिंदू पंचांग के मुताबिक, ज्येष्ठ का महीना वैशाख मास के समाप्त होते ही आरम्भ हो जाता है. यह हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना है. इस महीने में सूर्य अत्यंत ताकतवार हो जाता है तथा गर्मी भयंकर पड़ती है. सूर्य की ज्येष्ठता की वजह से इस महीने को ज्येष्ठ का माह कहते हैं. इस मास में सूर्य और वरुण देव की उपासना विशेष लाभदायी होती है. इस बार ज्येष्ठ 06 मई से 04 जून तक रहेगा. 05 जून से आषाढ़ के महीने की शुरुआत हो जाएगी. 

ज्येष्ठ मास का वैज्ञानिक महत्व:-
ज्येष्ठ मास में वातावरण और जल का स्तर गिरने लगता है, इसलिए जल का सही और पर्याप्त प्रयोग करना चाहिए. हीटस्ट्रोक एवं खान-पान की बीमारियों से बचाव आवश्यक है. इस माह में हरी सब्जियां, सत्तू, जल वाले फलों का प्रयोग लाभदायक होता है. इस महीने में दोपहर का विश्राम करना भी फलदायी है.

ज्येष्ठ मास की पूजन विधि:-
ज्येष्ठ मास के दिन स्नान, ध्यान और पुण्य कर्म की खास अहमियत है. आज के दिन व्रत और पूजा-पाठ से विवाह में आ रही समस्याएं भी दूर होती हैं. आज के दिन श्वेत वस्त्र धारण कर महादेव की पूजा करनी चाहिए. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि पीपल के वृक्ष पर प्रभु श्री विष्णु संग मां लक्ष्मी वास करती हैं. 

ज्येष्ठ माह की व्रत और त्योहार लिस्ट:-
6 मई, शनिवार- ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष प्रारंभ 
7 मई, रविवार- देवर्षि नारद जयंती
9 मई, मंगलवार- अंगारकी चतुर्थी 
12 मई, शुक्रवार- शीतलाष्टमी  
15 मई, सोमवार- अपरा एकादशी
17 मई, बुधवार- प्रदोष व्रत
19 मई, शुक्रवार- वट सावित्री व्रत, शनि जयंती
20 मई, शनिवार- ज्येष्ठ मास शुक्लपक्ष प्रारंभ, करवीर व्रत 
22 मई, सोमवार- पार्वती पूजा 
23 मई, मंगलवार- वैनायकी गणेश चतुर्थी
24 मई, बुधवार- श्रुति पंचमी
30 मई, मंगलवार- गंगा दशहरा
31 मई, बुधवार- निर्जला एकादशी
1 जून, गुरुवार- चंपक द्वादशी 
4 जून, रविवार- पूर्णिमा, संत कबीर जयंती

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