आज नवरात्री का सांतवा दिन, इस आरती से मां कालरात्रि को करें प्रसन्न…
चैत्र नवरात्रि का 22 मार्च से शुंभारंभ हो गया है। वही आज चैत्र नवरात्र का सातवाँ दिन है, इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन मां दुर्गा अपने शक्तियों के साथ नरकासुर को मारती हैं तथा इस तरह से सत्य की जीत का प्रतीक होती हैं। मां कालरात्रि की पूजा में भयंकर रूप वाली मां को चारों तरफ से दीप जलाए जाते हैं जिससे उनकी त्वचा को साफ दिखाई दे। तत्पश्चात, पूजा के लिए प्रार्थना की जाती है और धूप, दीप, फल आदि से उन्हें आराधना की जाती है।
मां कालरात्रि की पूजन विधि:-
प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मां को लाल रंग पसंद है। मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम लगाएं। मां को मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल चढ़ाएं। मां कालरात्रि को शहद का भोग अवश्य लगाएं। मां कालरात्रि का अधिक से अधिक ध्यान करें। मां की आरती भी करें।
मां कालरात्रि का सिद्ध मंत्र:–
‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।’
मंत्र:-
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
मां कालरात्रि की आरती:-
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥