यहां रोज 16 सूरज को डूबता हुआ देखता है ये शख्स, जानिए कौन…
सदियों से आपने रोजाना एक ही सूरज को बार-बार डूबते हुए देखा होगा, लेकिन एक शख्स जो रोजाना करीब 16 सूरज को डूबते हुए देखता है. क्या आप समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर यह कैसे संभव हो सकता है तो चलिए हम आपको बताते हैं. दरअसल, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) पर यह संभव है. अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सवार अंतरिक्ष यात्रियों के लिए यह आम बात है. परिक्रमा करने वाली लेबोरेटरी पृथ्वी के चारों ओर लगभग 17,000 मील प्रति घंटे (27,600 किलोमीटर प्रति घंटे) की गति से चक्कर लगाती है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को हर दिन 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देखने को मिलते हैं.
अंतरिक्ष में आखिर कैसे रखा जा सकता है रोजा?
अब इस शख्स के सामने एक मुसीबत खड़ी हो गई है. सूरज के डूबने के बाद नमाज अदा की जाती है और फिर दिनभर रखे हुए रोजा को तोड़ा जाता है. लेकिन क्या होगा अगर आपके सामने रोजाना 16 सूरज डूबते हैं. ऐसे में शख्स किस सूरज के डूबने पर अपना रोजा तोड़ेगा. यह एक ऐसा सवाल है जिससे अंतरिक्ष यात्री सुल्तान अलनेयादी (Astronaut Sultan Alneyadi) 3 मार्च को अंतरिक्ष स्टेशन पर आने के बाद से संघर्ष कर रहे हैं. वह एक दर्जन से भी कम मुस्लिम अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की. इस बार 22 मार्च की शाम से 21 अप्रैल तक रोजा चलेगा.
अंतरिक्ष यात्री सुल्तान अलनेयादी ने कही ये बात
अंतरिक्ष यात्री सुल्तान अलनेयादी ने जनवरी महीने में मीडिया से बात करते हुए कहा, “छह महीने एक मिशन के लिए एक लंबी अवधि है, जो एक बड़ी जिम्मेदारी है.” उन्होंने आगे कहा, “यदि आप अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं तो उपवास अनिवार्य नहीं है. मिशन को खतरे में नहीं डाल सकते या फिर क्रू मेंबर को जोखिम में डाल सकता है. अंतरिक्ष में हम खाने-पीने की कमी नहीं कर सकते. वहां पर पर्याप्त भोजन की जरूरत होती है. हालांकि, ग्रीनविच मीन टाइम या कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम के अनुसार रोजा कर सकते हैं, जिसका यूज अंतरिक्ष स्टेशन पर ऑफिशियल टाइम के रूप में किया जाता है.”