चीतों का क्वारंटाइन हुआ खत्म, अब बड़े बाड़ें में किये जाएंगे शिफ्ट जहां खुले में करेंगे अपना शिकार

भारत में चीतों को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद इस प्रजाति को देश में फिर से बसाने के प्रयास के तहत आठ चीतों का मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में क्वारंटाइन समय खत्म हो गया है। अब इन चीतों को बड़े बाड़े में शिफ्ट किए जाने की तैयारी हो रही है। सभी आठ चीतों को पांच नवंबर को छह किलोमीटर लंबे बाड़े में शिफ्ट करने की योजना है।

बड़े बाड़े में शिफ्ट होने के बाद सभी चीते आसानी से शिकार कर सकेंगे। ये जानकारी चीतों की देखभाल के लिए बनाई गई टास्क फोर्स के अधिकारी ने दी है। चीतों को जल्द ही बड़े बाड़ों में शिफ्ट किया जाएगा। अब तक चीतों को रोजाना भोजन उपलब्ध कराया जाता था मगर बड़े बाड़े में शिफ्ट होने के बाद वो खुद शिकार कर सकेंगे।

बाड़ें में हुए सुधार

बता दें कि चीता संरक्षण कोष के संस्थापक लॉरी मार्कर ने सिफारिश की थी कि बाड़ों को अधिक सुरक्षित बनाया जाए क्योंकि चीतों को रखने के लिए हर तरह की सुरक्षा होनी चाहिए। उनके बाड़े में भूमिगत और सौर ऊर्जा संचालित सुविधा होनी चाहिए। बता दें कि चीतों के बाड़े के लिए ये डिजाइन शुरुआती तौर पर शामिल नहीं किया गया था। वहीं नए डिजाइन को लेकर कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों ने भी अपनी स्वीकृति दे दी है।

पांच नवंबर तक पूरा होगा कार्य

जानकारी के मुताबिक बाड़े में नए सुधारों को सफलता से पूरा करने का काम पांच नवंबर तक हो जाएगा। तय समय सीमा के बाद नामीबिया से 17 सितंबर को भारत लाए गए चीतों को क्वारंटाइन बाड़ों से मुक्त किया जाएगा। इसके बाद वो बड़े बाड़ों में शिफ्ट हो सकेंगे।

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चीतों के लिए हैं कई जानवर

देश में आए चीतों के लिए कई जानवरों को भी बड़े बाड़ों में रखा गया है जहां चीते इनका शिकार कर सकेंगे। शिकार करने की आदत डलने के साथ ही ये स्वाभाविक रुप से अपने स्वरुप में आएंगे। जानकारी के मुताबिक बाड़ों में हिरण, जंगली सुअर, नीलगाय और अन्य जीवों को चीतों का शिकार करने के लिए रखा गया है। बाड़ों के बाद चीतों को जंगल में भेजा जाएगा। बता दें कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान विंध्याचल पहाड़ियों के उत्तरी किनारे पर स्थित है और 344 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है। 

ऐसे होते हैं चीते

गौरतलब है कि चीता महज तीन सेकंड में 100 मीटर की दौड़ लगा सकता है। उसकी यह स्पीड अधिकतर कारों से भी तेज है। चीते के तेज दौड़ने की शक्ति का कारण यह भी है कि चीते दुबले, लचीले शरीर वाले होते हैं और उनकी रीढ़ की हड्डी नरम होती है जो किसी गुच्छे या कुंडली की तरह फैल सकती है। चीते का सिर छोटा होता है जो हवा के प्रतिरोध को कम करता है और लंबी, पतली टांगें होती है जो उन्हें बड़े-बड़े कदम बढ़ाने में मदद करती हैं। चीते के पैर के तलवे सख्त और अन्य मांसाहारी जंतुओं की तुलना में कम गोल होते हैं। चीते के पैर के तलवे किसी टायर की तरह काम करते हैं जो उन्हें तेज, तीखे मोड़ों पर घर्षण प्रदान करते हैं।

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