लखनऊ : होटल लेवाना अग्निकांड की दास्तां, न थी फायर सेफ्टी… न कोई इमरजेंसी एग्जिट

लखनऊ : राजधानी के पॉश इलाके हजरतगंज स्थित पांच सितारा होटल लेवाना सुइट्स अग्निकांड ने चार लोगों की जिंदगी छीन ली. लिवाना होटल अग्निकांड मामले में अब शासन स्तर से एक्शन भी शुरू हो गया है. कमिश्नर रोशन जैकब ने होटल के ध्वस्तीकरण के आदेश दिए हैं तो वहीं हजरतगंज कोतवाली में होटल मालिकों और मैनेजर के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई. हजरतगंज कोतवाली में दर्ज क्राइम नंबर 317 इस अग्निकांड में घोर लापरवाही की दास्तां बयां कर रही है.

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दयाशंकर द्विवेदी की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में होटल मालिक पवन अग्रवाल, राहुल अग्रवाल, रोहित अग्रवाल और होटल मैनेजर सागर श्रीवास्तव को आरोपी बनाया गया है. एफआईआर में साफ लिखा है कि होटल मालिक,मैनेजर और उनके सहयोगियों द्वारा होटल में फायर सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. इमरजेंसी में होटल से निकलने और दाखिल होने की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. बिजली की व्यवस्था अत्यंत अनियमित तरीके से की गई थी. आग लगने की स्थिति में धुआं बाहर निकलने की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. होटल में असुरक्षित तरीके से तमाम गैस सिलेंडर रखे हुए थे. किसी भी तरह की इमरजेंसी से निपटने के लिए सुरक्षा के कोई उपाय नहीं किए गए थे.

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एफआईआर में लगे हैं गंभीर आरोप
एफआईआर में आगे लिखा है कि होटल के कमरों की खिड़कियों के बाहर लोहे के मोटे-मोटे ग्रिल लगाए गए थे, जिससे न तो खिड़की बाहर खुल सकती थी और न ही खिड़की से कोई बाहर निकल सकता था. आग लगने के बाद लोहे की ग्रिल की वजह से खिड़की तोड़कर अंदर जाने में फायर ब्रिगेड कर्मियों को काफी दिक्कतें आई. होटल के मालिक और मैनेजर ये जानते थे कि इमरजेंसी में लोगों की जान जा सकती है, लेकिन बचाव का कोई उपाय नहीं किया गया. इस अग्निकांड से आसपास के घरों और फ्लैटों में भी आग फैलने की पूरी संभावना थी. अगल बगल के लोग भी काफी दहशत में थे. एफआईआर के मुताबिक मौके पर तनाव के हालात बने हुए थे. होटल मालिक, मैनेजर और उनके साथियों का अपराध काफी गंभीर है.

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