टिकटॉक स्टार सोनाली फोगाट को दिया गया था मेथामफेटामाइन ड्रग ! नर्वस सिस्टम पर करता है अटैक

इन दिनों मेथामफेटामाइन ड्रग की चर्चा हर तरफ हो रही है. इसकी वजह टिक टॉक स्टार और बीजेपी नेता सोनाली फोगाट की मौत का मामला है. पिछले दिनों गोवा पुलिस ने दावा किया था कि सोनाली को ड्रिंक में मिलाकर मेथामफेटामाइन ड्रग दिया गया था. इसके सेवन के कुछ घंटों के बाद उनकी मौत हो गई. माना जा रहा है कि इस ड्रग की वजह से बीजेपी नेता की मौत हुई. इंटरनेट पर लोग मेथामफेटामाइन ड्रग के बारे में खूब सर्च कर रहे हैं. सभी लोग यह जानने की कोशिश में हैं कि कैसे यह ड्रग मौत की वजह बन सकता है.

क्या है मेथामफेटामाइन ड्रग?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग अब्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक मेथामफेटामाइन एक पावरफुल एडिक्टिव ड्रग है, जो हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र पर असर करता है. क्रिस्टल मेथामफेटामाइन कांच के टुकड़े जैसा चमकदार दिखता है. यह रासायनिक रूप से एम्फ़ैटेमिन के समान है, जिसका उपयोग अटैंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD), नार्कोलेप्सी और स्लीप डिसऑर्डर के इलाज के लिए किया जाता है. यह एक दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि लोग इसका इस्तेमाल गलत तरीके से भी कर रहे हैं, जो खतरनाक हो सकता है.

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कैसे ब्रेन को करता है प्रभावित?
मेथामफेटामाइन ड्रग का सीधा असर ब्रेन पर होता है. यह शरीर के अंदर पहुंचकर ब्रेन में नैचुरल केमिकल डोपामाइन की मात्रा को बढ़ा देता है. डोपामाइन रिलीज होने पर व्यक्ति खुश महसूस करता है. डोपामाइन के रिलीज होने पर एनर्जी लेवल बढ़ जाता है और लोगों को अच्छा महसूस होने लगता है. आमतौर पर यह हमारे शरीर में नैचुरल तरीके से रिलीज होता है, लेकिन यह ड्रग इसकी मात्रा बढ़ा देता है. एक बार इस ड्रग को लेने वाले लोग जल्द ही इसकी लत का शिकार हो जाते हैं. बार-बार ऐसा करना ब्रेन के लिए बेहद खतरनाक होता है. कई लोग इसका ओवरडोज भी लेते हैं, जो मौत की वजह बन जाता है.

मेथामफेटामाइन ड्रग को थोड़ी मात्रा में लेने पर यह कोकीन जैसा असर दिखाता है. इसे लेने के बाद लोगों की फिजिकल एक्टिविटी बढ़ जाती है. भूख कम लगने लगती है और सांस की गति बढ़ जाती है. इस ड्रग से दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. शरीर का तापमान भी इससे बढ़ जाता है और लोगों के व्यवहार में अचानक बदलाव आ जाता है. मेथामफेटामाइन को लोग सिगरेट की तरह जलाकर, दवा की तरह निगलकर, नाक के रास्ते खींचकर, इंजेक्ट करके या पानी में मिलाकर लेते हैं. इसका ओवरडोज कार्डियक अरेस्ट की वजह बन सकता है. लंबे समय तक इस डर्ग को लेने ले एचआईवी और हेपटाइटिस B, हेपेटाइटिस C हो सकता है. कई मामलों में इसके ओवरडोज से मौत के मामले सामने आ चुके हैं.

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