चिप मैन्यूफैक्चरिंग में चीन का दबदबा ख़त्म करने के लिएबाइडेन ने 200 अरब डॉलर के बिल को मंजूरी दी

दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को एक बेहद अहम बिल पर सिग्नेचर कर दिए। इस बिल के जरिए अमेरिका अब चीन के सेमीकंडक्टर और चिप प्रोडक्शन में दबदबे को खत्म करेगा। 200 अरब डॉलर के इस बिल के जरिए अमेरिकी कंपनियों को मदद दी जाएगी ताकि वो इस फील्ड में चीन को पछाड़ सकें।

चीन और ताइवान के बीच जारी विवाद में दुनिया के सामने सबसे बड़ा संकट इन्हीं सेमीकंडक्टर और चिप को लेकर है। चीन अगर ताइवान पर हमला करता है तो सेमीकंडक्टर और चिप के मार्केट में करीब 70% की आवक कम हो जाएगी। ताइवान 63 जबकि चीन करीब 7% सेमीकंडक्टर और चिप बनाता है।

‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ के मुताबिक, चिप्स एंड साइंस एक्ट नाम के इस बिल में अमेरिकी कंपनयों को 200 अरब डॉलर अलॉट किए गए हैं। इसके जरिए पांच साल में अमेरिकी कंपनियां चीन को न सिर्फ कम्पीट कर सकेंगी, बल्कि पीछे भी छोड़ देंगी। कोवड-19 के दौर में अमेरिका समेत दुनिया की कई मोबाइल और कार मैन्यूफेक्चरिंग कंपनियों के सामने इन चिप्स की वजह से बड़ा संकट पैदा हो गया था। तब न तो इनका प्रोडक्शन हो पा रहा था और न ही सप्लाई।

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बाइडेन ने कहा- आज से 50 या 100 साल बाद भी दुनिया इस बिल और इसके पास जाने की तारीख याद करेगी। यह बिल कितना अहम है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है पार्टी लाइन से हटकर डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी दोनों ने इसका पूरा समर्थन किया।

एक आंकड़े के मुताबिक, इस बिल से अमेरिका में 40 हजार परमानेंट जॉब भी क्रिएट होंगे। इसके पहले बाइडेन ने 50 अरब डॉलर इस सेक्टर के लिए दिए थे। हालांकि, तब यह बजट पूरे इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर को बूस्ट देने के लिए थी। इस बार जो 200 अरब डॉलर दिए जा रहे हैं वो पूरी तरह सेमीकंडक्टर और चिप प्रोडक्शन और रिसर्च पर ही खर्च होंगे। अमेरिका की तमाम बड़ी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां नए सिरे से इस पर रिसर्च और प्रोडक्शन में जुटेंगी। इस प्रोजेक्ट का ब्लू प्रिंट पहले ही तैयार कर लिया गया है। लिहाजा, ये माना जा रहा है कि इस पर बहुत जल्द काम शुरू भी हो जाएगा।

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