भारत का उपराष्ट्रपति कैसे चुना जाता है, पद के बारे में संविधान क्या कहता है, जानें सारी जानकारी

देश में उपराष्ट्रपति के चुनाव 6 अगस्त को होने हैं। इस समय हमारे देश के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू हैं। जिनका कार्यकाल 10 अगस्त को पूरा हो रहा है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है। इसके अलावा उपराष्ट्रपति की कई और जिम्मेदारियों भी होती हैं। जैसे किसी कारणवश राष्ट्रपति का पद खाली होता है तो ये जिम्मेदारी उपराष्ट्रपति को निभानी होती है। विपक्ष की तरफ से भारत के उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा के नाम का ऐलान किया गया है। पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ के मुकाबले विपक्ष की ओर से पूर्व गवर्नर को मैदान में उतारा गया है। धनखड़ राजस्थान के रहने वाले हैं। हाल ही में राजस्थान के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में विपक्ष की ओर से भी एक राजस्थान लिंक ढूंढ़ कर निकाला गया है। अल्वा राजस्थान की गवर्नर रह चुकी हैं। प्रशासनिक अनुभव के मामले में भी उनका अच्छा खासा अनुभव रहा है। 

उपराष्ट्रपति पद की योग्यता 

उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए। 

35 साल से ज्यादा की उम्र होनी चाहिए। 

राज्यसभा की सदस्यता के लिए योग्य होना चाहिए। 

भारत सरकार या फिर किसी राज्य की सरकार या किसी स्थानीय/अन्य प्राधीकरण के अधीन किसी भी सरकार के नियंत्रण के अधीन लाभ का कोई कार्यालय धारण नहीं किया हो। 

कैसे होता है चुनाव 

चुनाव आयोग की तरफ से चुनाव के लिए नोटिस जारी करता है और उम्मीदवारों का नामांकन होता है। उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार के पास 20 प्रपोजर्स और कम से कम 20 सेकेंडर्स होने चाहिए। प्रपोजर्स और सेकेंडर्स राज्यसभा के सदस्य होने चाहिए। इसके बाद इलेक्शन कमिश्नर उम्मीदवारों के नॉमिनेशन को चेक कर योग्य उम्मीदवारों के नाम बैलेट में शामिल किए जाते हैं। यहां सिक्योरिटी डिपोजिट के लिए उम्मीदवार को 15 हजार रुपये जमा कराने होते हैं। वोटिंग सीक्रेट बैलेट के जरिये होती है। राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य इस वोटिंग प्रक्रिय़ा में हिस्सा लेते हैं। राष्ट्रपति चुनाव की तरह इसमें विधायकों को वोट करने की अनुमति नहीं होती है। वहीं नॉमिनेटेड सांसद उपराष्ट्रपति चुनाव में अपना वोट डाल सकते हैं।

उपराष्ट्रपति का कार्यालय 

संविधान के अनुच्छेद 63 में कहा गया है कि भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा। अनुच्छेद 64 के तहत उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष होगा। अनुच्छेद 65 में कहा गया है कि “राष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफे या हटाने, या अन्य किसी वजह से उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के मौजूद होने की तारीख तक उसी रूप में कार्य करेंगे, जिस पर एक नया राष्ट्रपति कार्य करता है। राष्ट्रपति “अनुपस्थिति, बीमारी या किसी अन्य कारण से अनुपस्थित रहने पर उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कार्यों का भी निर्वहन करेंगे। इस अवधि के दौरान, उपराष्ट्रपति के पास “राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ और उन्मुक्तियाँ होंगी। भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यालय राष्ट्रपति के बाद दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक कार्यालय है, और वरीयता के क्रम में दूसरे स्थान पर है। 

उपराष्ट्रपति का चुनाव 

अनुच्छेद 66 उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को निर्धारित करता है। उपराष्ट्रपति “एक निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा निर्वाचित किए जाएंगे। जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से गुप्त मतदान करेंगे। 16वें उप-राष्ट्रपति चुनाव, 2022 के लिए, इलेक्टोरल कॉलेज में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य, राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य होते हैं, जिना कुल 788 होता है। 

क्या होगा अगर चुनाव को लेकर विवाद हो गया? 

संविधान का अनुच्छेद 71 “राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित या उससे जुड़े मामलों” से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि “राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में या उसके संबंध में उत्पन्न होने वाले सभी संदेहों और विवादों की जांच और निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाएगा वही निर्णय अंतिम होगा”।

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