ओपी राजभर को मिली ‘Y’ कैटेगरी की सुरक्षा, क्या अखिलेश पर हमलावर रहने का मिला इनाम?

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर अक्सर अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद से अचानक इनकी राजनीति में वर्चस्व दिखने शुरू हुई। ओमप्रकाश राजभर को आज उत्तर प्रदेश शासन की ओर से वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है। इस बात की पुष्टि सुभासपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरुण राजभर ने की। ओमप्रकाश राजभर को जैसे ही वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई, उसके बाद से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश की सियासत में अब सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या ओमप्रकाश राजभर जल्द ही सपा का दामन छोड़ने वाले हैं? आपको बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। लेकिन वर्तमान में अखिलेश यादव और ओमप्रकाश राजभर की दूरी लगातार बढ़ती दिखाई दे रही है।

‘वाई श्रेणी’ सुरक्षा में 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं जिसमें दो पीएसओ (निजी सुरक्षा गार्ड) भी होते हैं। शासन द्वारा व्यक्ति की सुरक्षा का आकलन करने के बाद उन्हें उसी आधार पर सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव पर लगातार हमलावर रहने का इनाम ओमप्रकाश राजभर को मिला है। इसके साथ ही ओमप्रकाश राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया है। हाल में ही ओमप्रकाश राजभर ने यह भी कह दिया था कि समाजवादी पार्टी भाजपा के नाम पर मुसलमानों को डरा कर वोट लेती है, लेकिन उनका हक नहीं देती। इससे पहले ओमप्रकाश राजभर ने यह भी कह दिया था कि वह तो अखिलेश यादव से तलाक मिलने का इंतजार कर रहे हैं, खुद से गठबंधन से बाहर नहीं होंगे। कुल मिलाकर देखें तो वर्तमान में ओमप्रकाश राजभर और भाजपा की नजदीकी दिखाई दे रही है। हाल में ही राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री इन ब्रजेश पाठक के साथ वह विक्ट्री चिन्ह दिखाते नजर आ रहे थे।

उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग के संयुक्त सचिव विनय कुमार सिंह की ओर से अपर पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि गाजीपुर जिले के जहूराबाद क्षेत्र के विधायक और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को राज्य स्तरीय समिति की आगामी बैठक में होने वाले निर्णय की प्रत्याशा में ‘वाई श्रेणी’ की सुरक्षा अंतरिम रूप से प्रदान कराये जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने इस मामले में एडीजी से औपचारिकता पूरी करने की अपेक्षा की है। राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन में हाल के राज्य विधानसभा चुनाव में राजभर की पार्टी ने छह सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन चुनाव बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव से राजभर की दूरी बढ़ती गई। 2017 के विधानसभा चुनाव में राजभर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गठित पहली सरकार में मंत्री पद की शपथ ली थी। बाद में राजभर ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था। 

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