रीवा जिले की मोहरबा गांव की कोमल त्रिपाठी 21 साल की उम्र में बनी सरपंच
दिल्लीः रीवा जिले के सिरमौर जनपद पंचायत क्षेत्र के मोहरबा गांव की बेटी कोमल त्रिपाठी ने इतिहास रच दिया है. महज 21 साल की उम्र में उन्होंने प्रधानी का चुनाव जीता और मोहराब गांव की सरपंच बन गई हैं. वह मध्य प्रदेश की सबसे युवा सरपंच बताई जा रही हैं. उन्होंने गांव की दयनीय दशा को देखकर चुनावी मैदान में उतरने का मन बनाया और 9 प्रत्याशियों को मात देते हुए जीत दर्ज की. कोमल के कमाल से गांव का हर शख्स अचंभित है. लोग इसे महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण मान रहे हैं. अब पूरे रीवा जिले में कोलम की जबरदस्त तारीफ हो रही है.
बता दें, कोमल वर्तमान में एमएससी की पढ़ाई कर रही हैं. उन्होंने कहा कि गांव की हालत दयनीय है. गांव की इस दशा को देखकर सोच का सरपंच का चुनाव लड़ा जाए. ये नहीं पता था कि जीत होगी. गौरतलब है कि इस सरपंची के चुनाव में 9 बड़े-बड़े उम्मीदवार मैदान में थे. उन सभी को मात देते हुए कोमल आगे निकल गईं. कोमल ने अपने निकटतम विरोधी को 131 वोटों से हरा दिया. कोमल की मानें तो मोहरबा गांव में अब तक जितने भी जनप्रतिनिधि चुने गए, उन्होंने गांव के विकास के लिए किसी भी प्रकार के कार्य नहीं किए. गांव में सड़क, पानी, बिजली, सहित अन्य कई मूलभूत समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.
गौरतलब है कि कोमल की तरह मंडला में ललिता धुर्व ने भी कमाल किया था. उन्होंने 23 साल की उम्र में मंडला जिले में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी. ललिता ने जिला पंचायत की सीट क्रमांक 16 से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन प्रिया धुर्वे को 3 हजार 900 मतों से हरा दिया था. ललिता गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के समर्थन से चुनाव लड़ीं और जनता ने इन्हें पूरा आशीर्वाद भी दिया. ललिता इंजीनियरिग की पढ़ाई कर रही थीं. वे पढ़ाई छोड़कर चुनाव में उतरीं और जीत गईं.
जीतने के बाद आदिवासी समाज की ललिता ने कहा कि वह चुनाव जीतने के लिए ही लड़ी थीं. वे जीतकर ग्रामीण जनता और समाज की सेवा करना चाहती हैं. ललिता ने कहा- मैंने देखा है कि ग्रामीण अपने छोटे-छोटे कामों के लिए जनप्रतिनिधियों के सामने कैसे गिड़गिड़ाते हैं. बावजूद इसके ग्रामीणों के काम नहीं होते. चक्कर लगा-लगाकर उनका बुरा हाल हो जाता है. यही सब देखकर वह चुनाव समर में उतरीं.