शिवसेना ने सामना में गिरते रुपये से लोकतंत्र की तुलना करते हुए सरकार पर निशाना साधा 

दिल्लीः

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में गिरते रुपये और लोकतंत्र की तुलना करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. सामना ने लिखा है कि देश में लोकतंत्र की स्थिति लगातार गिरते हुए रुपए जैसी हो गई है. सरकार विरोधियों की हालत भी रुपए जैसी करने में जुटी है. पार्टी ने आरोप लगाया कि विरोधी पक्ष को तोड़ने के लिए करोड़ों लुटाए जा रहे हैं, लेकिन जनता के लिए कुछ नहीं किया जा रहा, जो महंगाई से त्रस्त है. पार्टी ने अग्निपथ योजना को लेकर भी सरकार पर हमला बोला.

सामना में लिखे लेख में कहा गया है कि रुपए और लोकतंत्र की कीमत हमारे देश में जबरदस्त गिर गई है. रुपया तल में और लोकतंत्र रसातल में, ऐसी भयंकर अवस्था हमारे देश की हो गई है. लेकिन सत्ता के आनंद में मग्न रहने वाले शासकों को इसकी न फिक्र है, और न ही चिंता. आरोपों की बौछार करते हुए लेख में कहा गया है कि देश की समस्याओं पर विरोधियों को बोलने नहीं देना है, रुपया धराशायी हुआ, उसी तरह से विपक्ष की हालत करनी है, यह एकसूत्री कार्यक्रम देश में चलाया जा रहा है, जो कि देश के लिए घातक है.

शिवसेना के मुखपत्र के संपादकीय लेख में बड़ा आरोप लगाते हुए कहा गया कि देश में विरोधियों की सरकार को गिराने के लिए विधायक-सांसदों की खरीद-फरोख्त पर हजार-हजार करोड़ रुपए बाजार में उड़ेले जा रहे हैं. आम जनता महंगाई का सामना करे और शासक विधायक सांसदों पर दौलत लुटाकर राजनीति करे, ये क्या तरीका है? शिवसेना में बगावत का जिक्र करते हुए सामना ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में अलग हुए गुट के नेताओं, विधायकों, सांसदों को गुवाहाटी में खोखों (करोड़ों) में कीमत चुकाई गई.

सेना में भर्ती की नई योजना अग्निपथ को लेकर भी शिवसेना की तरफ से सामना में सरकार पर हमला किया गया. पार्टी ने आरोप लगाया कि ‘अग्निवीर’ जैसी खोखली योजनाओं का ढोल बजाया जा रहा है. इन अग्निवीरों का भविष्य भी अंधकारमय ही है. बता दें कि शिवसेना विरोधियों पर तीखे हमले करने के लिए अपने मुखपत्र सामना का इस्तेमाल करती है.

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