पिछले 5 सालों में आर्मी ने आत्महत्या के कारण अपने 642 सैनिकों को खोया

दिल्लीः पिछले 5 सालों में हर महीने सशस्त्र बलों के औसतन 8 जवानों ने आत्महत्या की है. यह जानकारी भारत सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में दी है. सरकार की तरफ से बताया गया कि पिछले पांच सालों में कम से कम 819 जवानों ने आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाया है, जबकि इस मुद्दे के समाधान के लिए कई कदम उठाए गए हैं. रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने मंगलवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि पिछले 5 सालों में आर्मी ने आत्महत्या के कारण अपने 642 सैनिकों को खो दिया है, जबकि भारतीय वायुसेना में यह संख्या 148 और नौसेना में 29 है.

इस गंभीर मुद्दे को हल करने के लिए उठाए गए कदमों पर अजय भट्ट ने कहा है कि सशस्त्र बलों में तनाव और आत्महत्या के मैनेजमेंट के लिए तनाव कम करने वाले मैकेनिज्म में सुधार के लिए लगातार उपाय विकसित किए जा रहे हैं. इसके लिए एक विस्तृत मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम तैयार किया गया है और यह कार्यक्रम 2009 से चालू है, जो जवान तनाव से गुजर रहे होते हैं, उनकी पहचान की जाती है. इसके साथ ही निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार यूनिट कमांडिंग ऑफिसर, रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर और जूनियर ऑफिसर द्वारा उनकी काउंसलिंग की जाती है.

रक्षा मंत्रालय के थिंक टैंक द युनाइटेड सर्विस इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (यूएसआई) ने एक साल की स्टडी के बाद पिछले साल एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि काउंटर इनसरजेंसी और काउंटर टेररिज्म के माहौल के अलावा नॉन-ऑपरेशनल स्ट्रेस सेना के जवानों में बहुत ज्यादा है. ऑपरेशनल स्ट्रेस जहां प्रोफेशन का हिस्सा है, वहीं नॉन ऑपरेशनल स्ट्रेस से बचा जा सकता है. इसमें यह भी कहा गया था कि स्ट्रेस का असर सैनिकों के स्वास्थ्य के अलावा युद्ध क्षमता पर भी पड़ता है. कहा गया है कि जेसीओ, जवानों और अफसरों में तनाव की अलग अलग वजहें हैं. इसलिए उसी हिसाब से देखना और डील करना चाहिए.

सशस्त्र बलों में तनाव और आत्महत्या के मैनेजमेंट के लिए कई कदम उठाए गए हैं. स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए योग और ध्यान किया जाता है. इसके साथ ही मनोवैज्ञानिक काउंसलर की भी तैनाती की गई है. सेना और वायु सेना द्वारा प्रोफेशनल काउंसलिंग लेने के लिए एक ‘मानसिक सहायता हेल्पलाइन’ की व्यवस्था की गई है. सैन्य मनोरोग उपचार केंद्र की व्यवस्था INS अश्विनी पर और मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना मुंबई, विशाखापत्तनम, कोच्चि, पोर्ट ब्लेयर, गोवा तथा कारवार में की गई है.

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