जापान बुलेट ट्रेन से पृथ्वी से चाँद तक जाने की कर रहा तयारी

दिल्लीः इंटरप्लानेटरी प्रोजेक्ट के लिए क्योटो यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने काजिमा कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ गठबंधन किया है. टीम ने जीरो और लो ग्रेविटी वातावरण में मानव मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम के कमजोर होने से रोकने के लिए पृथ्वी जैसी सुविधा वाली ‘ग्लास’ आवास संरचना विकसित करने के लिए इस योजना की घोषणा की.
ग्लास में भी पृथ्वी जैसा पर्यावरण और ग्रेविटेशनल फोर्स होगा. इससे अंतरिक्ष में रहना आसान हो जाएगा. इस योजना के तहत ग्लास और अंतर-ग्रहीय ट्रेनों का प्रोटोटाइप बनाने में लगभग 30 साल लग जाएंगे.

क्योटो यूनिवर्सिटी और काजिमा कंस्ट्रक्शन कंपनी ने मिलकर एक अंतरिक्ष में रहने योग्य संरचना बनाने का लक्ष्य रखा है. इस कोनिकल संरचना का नाम ‘ग्लास’ है.
ग्लास के अंदर बनावटी ग्रेविटेशन, ट्रांस्पोर्ट सिस्टम, पेड़-पौधे और पानी भी उपलब्ध होगी. पृथ्वी पर मौजूद सभी सुविधाओं को अंतरिक्ष में बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस संरचना को चांद पर ‘लूनाग्लास’ और मंगल पर ‘मार्सग्लास’ कहा जाएगा.
यह एक उल्टा कोन है जो पृथ्वी के रियल ग्रेविटेशन के प्रभाव की नकल करते हुए एक सेंट्रीफ्यूगल पुल बनाने के लिए घूमेगा और पृथ्वी जैसी ग्रविटेशन पैदा करेगा. इस ग्लास की उंचाई लगभग 1300 फीट और रेडियस 328 फीट होगी. इसे शुरू होने में तकरीबन 100 साल लग जाएंगे.
