‘बदले की भावना’ को लेकर उत्तराखंड की राजनीति में खड़ा हो रहा बवाल

दिल्लीः

पिछली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हरक सिंह रावत इन दिनों लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. एक तरफ उनके बयानों के बाद हरीश रावत ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, तो दूसरी तरफ पुष्कर सिंह धामी सरकार द्वारा उन मामलों की जांच करवाई जा रही है, जो हरक के कार्यकाल में हुए. इससे नाराज़ हरक ने साफ शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा है कि आज भले ही बीजेपी की सरकार हो, लेकिन कल वह फिर सरकार में आ सकते हैं, तो बदले की भावना से कोई कार्रवाई करना किसी के लिए फायदे की बात नहीं है.

उत्तराखंड की बीजेपी सरकार में मंत्री रहते हुए जिस कर्मकार कल्याण बोर्ड के विवाद के कारण हरक सिंह रावत चर्चाओं में रहे, वह अब भी उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है. हरक के कई करीबी उनके बीजेपी में रहते हुए ही हटा दिए गए थे. सरकार ने हाल में हरक की करीबी रहीं बोर्ड की तत्कालीन सचिव दमयंती रावत के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. दमयंती पर वित्तीय अनियमितता के आरोप हैं. अब हरक गुस्से में हैं. हरक सिंह का कहना है कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही है और ऐसा हुआ तो इससे कोई नहीं बचेगा.

तमिलनाडु या दूसरे प्रदेशों में राजनीति का गिरते स्तर के चलते एक दूसरे के खिलाफ बदले की भावना का हवाला देते हुए हरक ने कहा कि उत्तराखंड इससे अछूता रहा है. उन्होंने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत का नाम लेकर कहा ‘ढेंचा बीज घोटाले में तत्कालीन सीएम हरीश रावत चाहते थे कि त्रिवेंद्र के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो. मैंने फाइल्स पढ़ीं तो पाया कि मंत्री के रूप में त्रिवेंद्र की गलती नहीं थी. मैंने हरीश रावत को मना किया. यह स्वस्थ परंपरा नहीं है कि राजनीतिक द्वेष भावना से काम किया जाए

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