अध्ययन के मुताबिक एक समय में बर्फीली जलवायु में पृथ्वी पर छाए थे डायनासोर

दिल्लीः इस बात पर बहुत शोध हुए हैं कि पृथ्वी से डायनासोर (Dinosaurs) कैसे विलुप्त हुए थे. इसलिए एक मत यह भी कहता है कि जब 6.6 करोड़ साल पहले उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह के टकराव की वजह से वायुमंडल में ऐसे बदलाव आए जिसेस वैश्विकस्तर पर घोर ठंडक का मौसम हो गया जिसे डायनासोर सहन नहीं कर सके थे. इससे भी ज्यादा रहस्यमयी और कम चर्चित उससे पहले का महाविनाश (Mass Extinction) था जो 20.2 करोड़ साल पहले हुआ था. जिसमें उस समय तक रहे सभी सरीसृपों (Reptiles) का सफाया हो गया था और जिससे डायनासोर को दुनिया पर छा जाने की राह बनाई थी. आखिर इस ट्रियासिक जूरासिक महाविनाश (Triassic Jurassic Mas Extinction) का कारण क्या था और उसमें डायनासोर क्यों पनप गए जबकि दूसरे ऐसे जीव नष्ट हो गए थे.

अभी तक हम जानते है कि ट्रियासिक काल में दुनिया गर्म और उमस भरी थी जो कि उस महाविनाश के पहले की स्थिति थी और इसी तरह के हालात ज्यूरासिक काल में भी रहे जिसमें डायनासोर का युग आया. लेकिन नए अध्ययन में पाया गया है कि ट्रियासिक डायनासोर की कुछ प्रजातियां ध्रुवीय इलाके में लंबे समय तक बर्फीले हालात में रहा करती थीं.

इस पड़ताल में मिले संकेत बताते है कि शोधकर्ताओं को जो असामान्य चट्टानों के अवशेष मिले हैं जिन पर डायनासोर के पैरों के निशान हैं, वे केवल बर्फ के कारण ही जम सकते थे. इस अध्ययन के लेखकों  ने बताया कि महाविनाश के कारण ध्रुवों पर पहले से ही तेज ठंडक फैली हुई थी जिससे ठंडे खून वाले सरीसृप पनपने लगे. डायनासोर जो पहले ही खुद को ठंड के माहौल में ढाल चुके थे इस उद्भव वाले विशाल परिवर्तन में वे खुद को बचा सके और उसके बाद तो जो हुआ इतिहास है.

काम आ गई अनुकूलता
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और भूवैज्ञानिक पॉल एल्सेन का कहना है कि डायनासोर ट्रियासिक के दौरान हमेशा से ही निगाहों में थे. उनके बाद में वर्चस्व की वजह भी सरल ही थी वे मूलतः ठंड के अनुकूल हो चुके जानवर थे और जब सब जगह ठंड हो गई तो वे तो इसके लिए तैयार थे, लेकिन बाकी जानवर नहीं.

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