लिथुआनिया से हुई रूस की अनबन,क्या यह दूसरी जंग के है संकेत ?

दिल्लीः यूक्रेन से जंग के बीच रूस की अपने ही एक पड़ोसी देश से विवाद छिड़ गया है. इस देश का नाम लिथुआनिया है. लिथुआनिया ने रूस के कैलिनिनग्राद तक रेल के जरिए जाने वाले सामानों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके बाद रूस ने चेतावनी दी है कि ऐसा करने पर लिथुआनिया को ऐसा जवाब दिया जाएगा, उसके लोगों को दर्द महसूस होगा. इस पर लिथुआनिया ने जवाब देते हुए कहा कि हम इसके लिए तैयार हैं.

लिथुआनिया छोटा से देश है, जिसकी आबादी महज 28 लाख है. इस देश के पास महज 16 हजार की सेना है. जबकि, रूस के पास 10 लाख से ज्यादा सक्रिय जवान हैं. लिथुआनिया कभी सोवियत संघ का ही हिस्सा हुआ करता था. 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद लिथुआनिया अलग देश बना था. 2004 में लिथुआनिया सैन्य संगठन NATO में शामिल हो गया था. NATO यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन की शुरुआत 1949 में हुई थी. अमेरिका इसका नेतृत्व करता है. इस समय NATO में 30 देश शामिल हैं.

क्या छिड़ा विवाद?
दरअसल, कैलिनिनग्राद एक सैंडविच की तरह है. इसके एक ओर पोलैंड है तो दूसरी ओर लिथुआनिया. पोलैंड और लिथुआनिया दोनों ही NATO के सदस्य हैं. कैलिनिनग्राद तक जो भी सप्लाई होती है, वो लिथुआनिया से ही रेल के जरिए होती है. लिथुआनिया ने अब इस सप्लाई को रोक दिया है. रूस के साथ विवाद इसी को लेकर है. रूस के विदेश मंत्रालय ने नाटो सदस्‍य देश लिथुआनिया से मांग की है कि वह कैलिनिनग्राड पर खुलेआम लगाए गए शत्रुतापूर्ण प्रतिबंधों को तत्‍काल हटाए.

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