24 जून को है योगिनी एकादशी व्रत,आखिर क्यों रखना चाहिए यह व्रत ?

दिल्लीः योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में होता है. इस बार योगिनी एकादशी व्रत 24 जून दिन शुक्रवार को है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. पूजा के समय योगिनी एकादशी व्रत कथा सुनते या पढ़ते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, योगिनी एकादशी यानी आषाढ़ कृष्ण एकादशी तिथि 23 जून को रात 09:41 बजे से प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 24 जून को रात 11:12 बजे हो रहा है. 24 जून को योगिनी एकादशी के दिन साध्य और शुभ योग बन रहे हैं. ये दोनों ही योग पूजा पाठ की दृष्टि से शुभ हैं. आइए जानते हैं कि किसी भी व्यक्ति को योगिनी एकादशी व्रत क्यों रखना चाहिए.

योगिनी एकादशी व्रत का महत्व
पांडव भाइयों में भीम को छोड़कर सभी भाई हर माह दो एकादशी व्रत रहा करते थे. एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान ​श्रीकृष्ण से आषाढ़ कृष्ण एकादशी व्रत के महत्व को बताने का निवेदन किया. भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा—

1. आषाढ़ कृष्ण एकादशी व्रत को योगिनी एकादशी व्रत कहते हैं. यह इस नाम से ही प्रसिद्ध है.विज्ञापन

2. जो लोग योगिनी एकादशी का व्रत करते हैं, उनके समस्त पाप मिट जाते हैं.

3. योगिनी एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद नरक लोक के कष्टों को नहीं भोगना पड़ता है.

4. जो योगिनी एकादशी व्रत रखते हैं, उनको मृत्यु के बाद यमदूत नहीं, देवदूत लेने आते हैं. उस व्यक्ति की आत्मा को स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है.

5. योगिनी एकादशी व्रत के पुण्य और भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष भी प्राप्त होता है.

6. जो व्यक्ति योगिनी एकादशी व्रत करता है, उसे 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने का पुण्य लाभ प्राप्त होता है.

योगिनी एकादशी के दिन आप सुबह से ही पूजा पाठ कर सकते हैं क्यों​कि इस दिन सुबह से ही साध्य योग है और शुभ योग 09:40 बजे से प्रारंभ हो रहा है.

25 जून को योगिनी एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद प्रात: 05 बजकर 41 मिनट से प्रात: 08 बजकर 12 मिनट के बीच कर सकते हैं. व्रत का पारण करने से ही वह पूर्ण माना जाता है.

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