केदारनाथ: आपदा के 9 साल बीतने के बाद यहां अबतक कितना कायाकल्प हो चुका ?

दिल्लीः 16-17 जून 2013 की आपदा से केदारपुरी धीरे-धीरे उबर रही है. 9 साल पहले जो आपदा आई थी, उसमें यह तीर्थनगरी बुरी तरह बर्बाद हो गई थी. मकान और गाड़ियां सैलाब में पत्तों की तरह ढह और बह गए थे. पूरे देश को हिला देने वाली इस भीषण आपदा के बाद शायद ही किसी ने सोचा हो कि दोबारा केदारनाथ धाम यात्रा शुरू होगी और रिकॉर्ड रफ्तार पकड़ सकेगी. आपदा के बाद से केदारनाथ आने वाले यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के प्रयास किए गए. अब यहां के लोग आपदा के ज़ख्मों को भुलाकर आगे बढ़ रहे हैं.

16-17 जून 2013 की आपदा को नौ साल पूरे तब हो रहे हैं, जब चार धाम यात्रा चरम पर है. 9 साल पहले भी यहां यात्रियों का हुजूम था, जब तबाही हुई थी. पूरी केदानगरी के साथ ही रुद्रप्रयाग तक तबाही का मंजर दिखा था. हज़ारों लोगों का रोज़गार छिन गया था, कई लोगों के आशियाने बर्बाद हो गए थे और कई परिवारों ने कमाने वालों को आपदा में खो दिया था. कुछ लोग तो अब तक लापता हैं. आपदा इतनी भयानक थी कि उसे याद करके अब भी कइयों की रूह कांप जाती है. लेकिन यादें धुंधलाती हैं, वक्त बदलता है.

आपदा के बाद अब केदारनाथ सहित यात्रा पड़ावों की तस्वीर बदलने लगी है. आपदा के बाद केदारनाथ में कई नवनिर्माण हो चुके हैं तो कई पर काम चल रहा है. धाम की बात करे तो यहां मंदाकिनी और सरस्वती नदी किनारे सुरक्षा दीवारों के साथ ही तीर्थ पुरोहितों के लिए घर बनाए गए हैं. केदारनाथ में मंदिर के आगे से हेलीपैड तक के रास्ते के दोनों छोरों पर स्थित घरों को तोड़ा गया है, जिससे बाबा केदार का मंदिर दूर से ही यात्रियों को दिखाई दे.

दूसरे चरण के कामों को इसी साल पूरा कर लिये जाने का इरादा जताते हुए रुद्रप्रयाग के ज़िला अधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि धाम में यात्रियों के लिए दो वाॅटर एटीएम, एक प्रवचन हाॅल, बारिश, बर्फबारी आदि से बचने के लिए रेन शेल्टर, अस्पताल, पुलिस कंट्रोल रूम, दो गेस्ट हाउस, क्यू मैनेजमेंट सिस्टम के तहत दुकानों आदि के निर्माण को अगले साल की यात्रा से पहले पूरा कर लेने का लक्ष्य है.

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