इंदौर में लगभग 5000 महिलाये रही जननी सुरक्षा योजना से वंचित

दिल्लीः वित्तीय वर्ष 2021-22 में इंदौर जिले में जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के तहत लगभग 5,000 महिलाओं को अभी तक नकद सहायता राशि नहीं मिली है। जेएसवाई योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली महिलाओं को संस्थागत प्रसूति कराने के लिए सरकार से आर्थिक सहायता मिलती है। सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि पिछले वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी अस्पताल में 21665 प्रसव कराने वाली महिलाओं में से केवल 16743 को नकद राशि दी है। 

रिकॉर्ड से पता चला है कि करीब 23% महिलाओं को नकद सहायता राशि नहीं मिली है। जबकि यह पूरी प्रक्रिया कैशलेस है यानी लाभार्थियों के बैंक खाते में ऑनलाइन तत्काल ट्रांसफर किया जाता है। जेएसवाई के तहत ग्रामीण इलाकों में गर्भवती महिला को 1400 रुपये मिलते हैं जबकि शहरी महिला को सरकारी अस्पताल में डिलिवरी के समय एक हजार रुपए दिए जाते हैं। 

यह गरीब गर्भवती महिलाओं के बीच सरकारी अस्पताल में प्रसव को बढ़ावा देने, मातृ एवं नवजात शिशुमृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है। इतनी ज्यादा महिलाओं को योजना का लाभ न मिलने के मामले पर सीएमएचओ डॉ बीएस सैत्य ने इसके लिए दस्तावेजों की अनुपलब्धता को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा, ‘समग्र पहचान पत्र की कमी, अभिलेखों का दोहराव, गर्भवती महिलाओं का देर से पंजीकरण (पहली तिमाही के बाद) जेएसवाई में भुगतान में देरी के कारण हैं। इसके अलावा नाम, पति का नाम, बैंक खाते का विवरण, पता और अन्य विवरणों का गलत होना भी इसका एक कारण है। जब इन विवरणों को योजना के तहत सिस्टम में फीड किया गया तो उसने विसंगतियों के कारण इसे स्वीकार करने से मना कर दिया। कई मामलों में, लिपिकीय गलतियां भी इस तरह के मामले की वजह होती है।’

इन महिलाओं में प्रवासी आबादी का एक हिस्सा भी है शामिल है जिन्हें वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है क्योंकि वे श्रमिक वर्ग से संबंधित हैं। इसी तरह, जब वित्तीय वर्ष 2020-21 पिछले साल मार्च में खत्म हुआ, तो जिले की लगभग 4,000 गर्भवती महिलाएं नकद सहायता राशि के इंतजार में थी। रिकॉर्ड बताते हैं कि जिन महिलाओं को सहायता राशि नहीं मिली है उनके विवरण उपलब्ध नहीं है।

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