कांग्रेस पर राजनीतिक संकट के बाद गंभीर वित्तीय संकट के बादल, संपत्तियों का ब्योरा तैयार करने का आदेश
दिल्लीः कांग्रेस 2014 से केंद्र की सत्ता से बाहर है। वह गंभीर राजनीतिक संकट (Congress Political Crisis) से गुजर रही है। यही नहीं, उस पर वित्तीय संकट (Financial Crisis) के बादल भी छाए हुए हैं। इसी को देखते हुए उसने प्लान बनाया है। इसके तहत राज्य इकाइयों को पार्टी की सभी संपत्तियों का ब्योरा तैयार करने के लिए कहा गया है। ये प्रॉपर्टियां पूरे देश में फैली हैं। उसे इन संपत्तियों पर अवैध कब्जा होने का डर है। साथ ही पार्टी को यह भी आशंका है कि कहीं इन संपत्तियों पर टैक्स डिफॉल्ट न हो जाए। सूत्रों की मानें तो इन संपत्तियों को डेवलप करके पार्टी राजनीतिक गतिविधियों के लिए रुपये-पैसे का बंदोबस्त करना चाहती है। वह नहीं चाहती है कि इसके लिए किसी भी तरह से फंडों की कमी हो।
कांग्रेस ने राज्य इकाइयों को ‘संपत्ति प्रभारी’ के तौर पर वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त करने के लिए कहा है। वो खरीदी या लीज पर ली गईं कांग्रेस की संपत्तियों और उन पर प्रॉपर्टी टैक्स या लीज अमाउंट के स्टेटस का मिलान करेंगे। उन्हें यह भी पता लगाना है कि कोर्ट में उसकी ऐसी किन संपत्तियों के साथ टाइटल डिस्प्यूट का मामला है। या फिर पार्टी की किन संपत्तियों पर अवैध कब्जा हो गया है।
इस बारे में एआईसीसी के ट्रेजरर पवन बंसल ने पीसीसी और राज्य प्रभारियों को निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश एक पखवाड़े पहले जारी हुए हैं। इसमें इस मसले पर तुरंत कदम उठाने के लिए कहा गया है।
कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। देशभर में उसकी संपत्तियां फैली हैं। ये जिला से लेकर ब्लॉक स्तर तक हैं। पार्टी में इस बात की चिंता है कि जमीन के बड़े हिस्से पर कब्जा हो सकता है। इसमें पार्टी के कुछ नेताओं की मिलीभगत भी हो सकती है।
2014 में केंद्र की सत्ता से बेदखल होने के बाद कांग्रेस गंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रही है। उस पर वित्तीय संकट के बादल भी छाए हुए हैं। फोकस की कमी के कारण प्रॉपर्टी के कंसोलिडेशन के विचार पर भी आगे नहीं बढ़ा जा सका। इसके बारे में सबसे पहले 2015 में सोचा गया था। हालांकि, पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए सदस्यों की नियुक्ति 2020 में हो पाई थी। इसके बाद कोरोना ही आ गया था।