कैसे बना बद्रीनाथ धाम

 केदारनाथ धाम के बाद बद्रीनाथ के कपाट आज 09 मई 2022 को सुबह 06 बजकर 15 मिनट पर विधि-विधान के साथ खुल गए हैं। इसके पहले तीनों गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही खुल चुके हैं।

कहा जाता है कि मंदिर के कपाट बंद करते समय जो ज्योति जलाई जाती है, वह कपाट खुलने के बाद भी जलती हुई मिलती है। चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ और रामेश्वर हैं।

लेकिन बद्रीनाथ के दर्शन करने के बाद केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के भी दर्शन करने होते हैं, इसलिए इन चारों को मिलाकर छोटा चार धाम कहा जाता है।पुराणों के अनुसार, भविष्य में बद्रीनाथ के दर्शन नहीं होंगे क्योंकि मान्यता है कि जिस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे।

बद्रीनाथ के दर्शन पूरी तरह बंद हो जाएंगे। बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम भी पूरी तरह लुप्त हो जाएंगे। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जोशीमठ में स्थित नृसिंह भगवान की मूर्तिका ए

क हाथ साल दर साल पतला हो जा रहा है, जिस दिन यह हाथ लुप्त हो जाएगा। उस दिन बद्री और केदारनाथ धार्मिक स्थल भी लुप्त होना आरंभ हो जाएगा।

मान्यता है कि एक बार मां लक्ष्मी रुठकर अपने मायके चली गईं। इसके बाद माता लक्ष्मी को मनाने के लिए भगवान विष्णु ने तप करना शुरू कर दिया।

देवी लक्ष्मी की नाराजगी दूर हुई और वह भगवान को ढूंढ़ते हुए उसी स्थान पर पहुंची जहां वह तप में लीन थे। उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु तो बेर के पेड़ पर बैठकर तपस्या कर रहे हैं। इसके बाद मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को बद्रीनाथ का नाम दिया गया।

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