हिजाब विवाद में मुस्लिम संगठनों का आज कर्नाटक बंद, हाईकोर्ट के फैसले का विरोध

दिल्लीः हिजाब विवाद में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने गुरुवार यानी 17 मार्च को कर्नाटक बंद बुलाया है। इसका असर भी दिखने लग गया है। संगठन के लोगों ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला शरियत के खिलाफ है। वहीं उडुपी कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी के वाइस प्रेसिडेंट यशपाल सुवर्णा ने कहा है कि हैदराबाद से एक आतंकी संगठन के लोगों ने छात्राओं को मीडिया के सामने बयान देने के लिए ट्रेनिंग दी थी।

अमीर-ए-शरीयत कर्नाटक के मौलाना सगीर अहमद खान रश्दी ने कोर्ट के फैसले पर दुख जताया और इसके विरोध में तमाम मुस्लिम संगठनों से कर्नाटक बंद के लिए अपील की। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि छात्राओं को स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनना इस्लाम के हिसाब से जरूरी नहीं है।

सगीर ने कर्नाटक बंद का ऐलान ऐसे समय में किया है, जब हिजाब विवाद के चलते पूरे राज्य में 21 मार्च तक धारा 144 लागू है।

सगीर अहमद बुधवार को एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ मैं पूरे कर्नाटक में एक दिन के शांतिपूर्ण बंद का आह्वान करता हूं। हम शोषित वर्ग, गरीब और कमजोर वर्ग सहित समाज के सभी वर्गों से इस बंद में शामिल होने की अपील करते हैं।’

उन्होंने मुस्लिम समुदाय के हर वर्ग से बंद में भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘हम विशेष रूप से युवाओं से अपील करते हैं कि वे किसी भी व्यवसाय को बंद करने या शांति भंग करने के इरादे से बल का प्रयोग न करें। यह बंद कोर्ट के आदेश के प्रति हमारे गुस्से को दिखाने के लिए है।’ सगीर अहमद ने गुरुवार को अमीर-ए-शरीयत के सभी मुस्लिम संगठनों की बैठक भी बुलाई है।

सगीर अहमद के कर्नाटक बंद को दलित संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया और दलित संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष डॉ मोहन राज ने कहा कि मुस्लिम संगठनों ने बंद का समर्थन करने की बात कही। मोहन राज ने कहा कि यूपी में मुस्लिम और दलित के अलग-अलग रास्ते पर चलने के कारण फिर से योगी की सरकार बन गई। हम ऐसा दोबारा नहीं होने देंगे। इस लड़ाई में दलित, मुसलमानों का पूरी मजबूती से समर्थन करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य अल्पसंख्यक विकास निगम के अध्यक्ष पद पर केवल मुस्लिम समुदाय के सदस्य को नियुक्ति देने वाली याचिका पर कर्नाटक सरकार से जवाब मांगा है। SC ने सरकार को जवाब के लिए 6 हफ्तों का समय दिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक राज्य ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय के अनिल एंटनी की अपील पर सुनवाई कर रहा था। जिसमें हाईकोर्ट के 18 जनवरी 2021 के आदेश को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि IAS अधिकारियों को छोड़कर, सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोगों को ही अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया जाता है। वहीं बाकी अल्पसंख्यक समुदायों के साथ भेदभाव किया जाता है।

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