परमबीर सिंह को सुप्रीम कोर्ट से फ़िलहाल बड़ी राहत
दिल्लीः मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर को सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ी राहत दी है. परमबीर सिंह बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परमबीर सिंह के ख़िलाफ़ सभी तरह की कार्रवाई को 9 मार्च तक रोक दिया जाए.
कोर्ट ने उनके ख़िलाफ़ चल रही अलग-अलग कार्रवाइयों पर रोक लगा दी है.
परमबीर सिंह का मामला सीबीआई को सौंपा जाए या नहीं- इस पर कोर्ट अंतिम फ़ैसला 9 मार्च को सुनाएगी. कोर्ट ने कहा है कि तब तक महाराष्ट्र सरकार सारे केसों की जाँच को रोक दे.
पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले परमबीर सिंह की शिक्षा दिल्ली में हुई. यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद उन्हें पहली बार आईआरएस कैडर में चुना गया था लेकिन, उन्होंने फिर से परीक्षा दी और आईपीएस बने.
मुंबई के नए पुलिस आयुक्त हेमंत नांगले होंगे. उन्होंने पहला कार्यभार साल 1989-92 में नक्सल प्रभावित चंद्रपुर जिले में बतौर एएसपी राजुरा के रूप संभाला था.
उन्हें साल 1992 में सोलापुर शहर में बाबरी मस्जिद मामले के बाद हुए सांप्रदायिक दंगों को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के लिए जाना जाता हैं.
बीते साल मार्च महीने में परमबीर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया था. परमबीर सिंह 29 फरवरी, 2020 को मुंबई पुलिस के कमिश्नर बने थे.
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने होम गार्ड विभाग में ट्रांसफर किए जाने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
एंटीलिया मामले में मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाझे की गिरफ्तारी के बाद से परमबीर सिंह पर भी सवाल उठाए जा रहे थे.
परमबीर सिंह ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से उन आरोपों की जांच कराये जाने की भी मांग की है जिसका जिक्र उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखी चिट्ठी में किया था.
सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में परमवीर सिंह ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आदेश देने की मांग की है, “ताकि सीबीआई महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री श्री अनिल देशमुख के भ्रष्ट आचरण की तुरंत निष्पक्ष, बिना किसी के प्रभाव के, तटस्थ और साफ-सुथरी जॉंच कर सके.”