जिन्ना-गन्ना के बाद अब औरंगजेब और शिवाजी की एंट्री
अभी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के जिन्ना और वेस्ट यूपी में गन्ना वाली सियासत गर्म ही थी कि अब औरंगजेब और शिवाजी के जरिए भाजपा भी सपा की घेराबंदी में जुट गई है।
यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नेताओं के बीच प्रतीकों (सिंबल) के जरिए लड़ाई का सिलसिला तेज हो गया है। हर राजनीतिक दल अपनी-अपनी पसंद के प्रतीकों को आगे कर अपने समीकरण दुरुस्त करने में जुटा है।
अभी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के जिन्ना और वेस्ट यूपी में गन्ना वाली सियासत गर्म ही थी कि अब औरंगजेब और शिवाजी के जरिए भाजपा भी सपा की घेराबंदी में जुट गई है।
गौरतलब है कि सोमवार को वाराणसी में विश्वनाथधाम के लोकार्पण के बाद आयोजित सभा में पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि काशी तो अविनाशी है। आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए।
औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की। लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं।
अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। अंग्रेजों के दौर में भी, हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, ये तो काशी के लोग जानते ही हैं।