सफलता की जड़ें

एक चीनी दार्शनिक शिष्यों को प्रकृति में होने वाली घटनाओं का उदाहरण देते हुए जीवन दर्शन का बोध करा रहे थे। एक बार दार्शनिक ने अपने शिष्यों को चीनी बांस की उत्पत्ति के विषय में बताया कि एक बांस के बीज को विकसित होने में पांच बरस लगते हैं।

जमीन में बीज डालकर पांच सालों तक इसको खाद-पानी देना होता है। बीज धैर्यपूर्वक पांच साल तक जमीन में पड़ा रहता है।

पांच साल के बाद अचानक यह एक नन्हे पौधे के रूप में जमीन से बाहर आता है और फिर आश्चर्यजनक रूप से तेजी से आकार में वृद्धि करते हुए मात्र पांच सप्ताह में लगभग 90 फीट ऊंचाई लेकर पूरा पेड़ बन जाता है।

पांच साल तक जमीन में पड़ा यह बीज निष्क्रिय नहीं रहता, बल्कि अपनी जड़ों को मजबूत और विकसित करता है ताकि अल्पकाल में पूर्ण विकसित पेड़ को संभाल सके।

तो विद्यार्थियों! इस बांस के पेड़ की तरह जो लोग अपने सार्थक सपनों और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धैर्यपूर्वक कड़ी मेहनत करते हैं, वे सफलता अवश्य प्राप्त करते हैं ।

इस सफलता को संभालने के लिए पेड़ की तरह मजबूत आंतरिक ताकत विकसित करने की आवश्यकता होती है। अगर आंतरिक जड़ें मजबूत नहीं होगी तो सफलता का पेड़ धराशायी हो जाएगा।

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