गांव ने दलित परिवार पर लगाया 35 हजार का जुर्माना

हम भले ही 21वीं सदी में जी रहे हैं, लेकिन आज भी जाति के आधार पर भेदभाव की खबरें सुनने और पढ़ने को मिलती है। ताजा मामला कर्नाटक का है। दलित परिवार के एक बच्चे का जन्मदिन था। वह इस खास अवसर पर पूजा करने के लिए गया।

हालांकि उसे यह नहीं पता होगा कि इसके लिए उसके पिता को आर्थिक जुर्माना भरने के लिए कहा जाएगा।

जी हां, कर्नाटक के कोप्पल के मियापुरा गांव में एक दलित व्यक्ति के 4 साल के बेटे के जन्मदिन पर मंदिर में प्रवेश करने के लिए 25,000 रुपये जुर्माना लगाया गया।

साथ ही उसे मंदिर परिसर को सैनिटाइज करने के लिए 10,000 रुपये का भुगतान करने के लिए भी कहा गया। हालांकि, जैसे ही इसकी सूचना प्रशासनिक अधिकारियों को मिली तो कार्रवाई भी की गई।

न्यूज एजेंसी एएनआई ने तहसीलदार सिद्धेश के हवाले से बताया कि बाद में, गांव के बुजुर्गों ने माफी मांगी और कहा कि यह गलतफहमी के कारण हुआ।

आपको बता दें कि हाल ही में बंगाल में भी दलितों से भेदभाव का एक मामले सामने आया था। विश्व भारती विश्वविद्यालय (वीबीयू) के एक छात्र ने आरोप लगाया कि एक प्रोफेसर ने उसके साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया और उसे “अशुद्ध” कहा।

सोमनाथ सो के आरोपों के आधार पर पुलिस ने प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत दर्ज कर लिया। सोमनाथ सो ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि शांतिनिकेतन के स्यांबती इलाके में एक चाय की दुकान पर उसकी मुलाकात प्रोफेसर सुमित बसु से हुई।

सो ने आरोप लगाया कि उस समय बसु ने मुझे दलित कहा और कहा कि वह मुझसे बात नहीं करना चाहते। ‘

द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, सो ने अपने शिकायत पत्र में कहा कि प्रोफेसर ने उससे कहा था कि अगर वह अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के किसी व्यक्ति से बात करेंगे तो वह अपना सम्मान खो देंगे।

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