UK का रवैया भेदभावपूर्ण : मोदी

भारत सरकार का कहना है कि ब्रिटेन ने कोरोना वैक्सीन कोविशीलड को मान्यता नहीं देकर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया है।

साथ ही यह भी कहा कि अगर इसका कोई समाधान नहीं निकाला जाता है तो जवाबी कार्रवाई की जाएगी। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने आज कहा कि यूके सरकार का कोविशील्ड को मान्यता नहीं देने का निर्णय “भेदभावपूर्ण” है।

उन्होंने यह भी कहा कि यह भारत के “पारस्परिक उपाय करने के अधिकार” के भीतर आता है। उन्होंने आगे कहा, ‘कोविशील्ड की गैर-मान्यता एक भेदभावपूर्ण नीति है और यूके की यात्रा करने वाले हमारे नागरिकों को प्रभावित करती है।

विदेश मंत्री ने ब्रिटेन के नए विदेश सचिव के समक्ष इस मुद्दे को मजबूती से उठाया है। मुझे बताया गया है कि कुछ आश्वासन दिए गए हैं कि इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा।’

इस मामले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन की नवनियुक्त विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रुस के साथ बैठक की।

इस दौरान उन्होंने ट्रुस से कोरोना से जुड़े पृथकवास मामले के शीघ्र समाधान का आग्रह किया। नए नियमों के अनुसार, कोविशील्ड की दोनों खुराक लेकर ब्रिटेन जाने वालों को 10 दिन पृथकवास में रहना होगा।

जयशंकर संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्चस्तरीय 76वें सत्र में भाग लेने के लिए सोमवार को यहां पहुंचे। आने के कुछ ही देर बात उन्होंने नॉर्वे के विदेश मंत्री इने एरिकसन सोरीदे, इराक के विदेश मंत्री फुआद हुसैन और ब्रिटेन की नई विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की।

जयशंकर ने ट्वीट किया कि ब्रिटेन की नई विदेश मंत्री ट्रुस से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने 2030 के रोडमैप की प्रगति पर चर्चा की।

अफगानिस्तान और हिंद प्रशांत में हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की। पृथकवास मामले के साझा हित में शीघ्र समाधान की अपील की।

जयशंकर और ट्रुस की बैठक ऐसे समय में हुई है, जब ब्रिटेन ने कोविड-19 संबंधी नए यात्रा प्रतिबंधों की घोषणा की है, जिसकी भारत ने तीखी आलोचना की है।

नए नियमों के अनुसार, ब्रिटेन में यह माना जाएगा कि कोविशील्ड की दोनों खुराक ले चुके लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है। उन्हें 10 दिन पृथकवास में रहना होगा।

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