एनजीटी ने महाराष्ट्र सरकार पर लगाया 1 करोड़ रुपए का जुर्माना

नई दिल्ली।  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तीर्थयात्री के नदी में नगरपालिका के कचरे के निर्वहन को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्देश का पालन करने में विफल रहने के लिए महाराष्ट्र सरकार पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। 12 पवित्र ज्योतिर्लिग में से एक यंबकेश्वर को रखें।


एनजीटी ने अगली सुनवाई में महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को भी उपस्थित रहने को कहा है। ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार को नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर नदी के पानी की गुणवत्ता के पुनर्वास के लिए जिला मजिस्ट्रेट को अंतरिम मुआवजे के रूप में 1 करोड़ रुपये की राशि जमा करने का निर्देश दिया है।


एनजीटी की प्रधान पीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने 16 सितंबर को कहा था कि त्र्यंबकेश्वर नगर परिषद नगरपालिका के कचरे को एक छोटी सहायक नदी त्र्यंबकेश्वर नदी में जाने से रोकने में विफल रही है, जो सभी प्रदूषकों को गोदावरी नदी में जोड़ती है और थोड़ी दूरी पर छोड़ती है।

ट्रिब्यूनल ने यह भी बताया कि पिछले दो वर्षों में एनजीटी द्वारा कम से कम चार आदेशों के बावजूद नगर निगम के कचरे को नदी में छोडऩे से रोकने में नागरिक प्राधिकरण विफल रहा है।


न्यायमूर्ति गोयल ने कहा, महाराष्ट्र के अधिकारियों का रुख दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सार्वजनिक कर्तव्यों के प्रति संवेदनशीलता की कमी और सुप्रीम कोर्ट और इस ट्रिब्यूनल के बाध्यकारी कानून और व्यवस्था के प्रति सम्मान को दशार्ता है।

कानून का लगातार उल्लंघन, जिसके परिणामस्वरूप नागरिकों के अधिकार से वंचित होना पड़ता है। स्वच्छ पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान की संभावना संविधान के तहत गारंटीकृत कानूनों के नियम के खिलाफ है।

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