दूसरों के रुपये लेकर जमकर भागे लोग

कोरोनाकाल में रुपये लेकर गायब होने वालों की संख्या बीते सालों के मुकाबले ढाई फीसदी ज्यादा बढ़ गई है। प्रदेश में बीते साल कोविड के बीच आर्थिक अपराध के 1245 मामले दर्ज हुए हैं।

जिसमें 1065 मामले आर्थिक जालसाजी, ठगी और धोखाधड़ी से जुड़े हैं।  नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार बीते साल 376 मामले सीधे तौर पर रुपयों की धोखाधड़ी से जुड़े थे, जिसमें से 72 मामलों में रकम एक लाख रुपए से कम रही।

266 मामलों में रकम दस लाख रुपए और 38 मामलों में दस लाख से ज्यादा थी। इसके अलावा भूमि की खरीद फरोख्त, आर्थिक जालसाजी के मामले भी काफी अधिक हैं।

हालांकि, पुलिस ने आर्थिक अपराध में 874 लोगों को गिरफ्तार किया है। पर मात्र 25 फीसदी मामलों में ही दोष सिद्ध हो पाया है। कुल अपराध में 201 मामले प्राथमिक जांच में सही पाए गए पर पुलिस आरोपियों के खिलाफ सबूत नहीं जुटा पाई।

यही कारण है कि अब तक दर्ज कुल आर्थिक अपराध के 71 फीसदी मामले पेंडिंग चल रहे हैं। दरअसल आर्थिक अपराध के ज्यादातर मामलों में रुपये देने और लेने वाले के बीच कानूनी तौर पर कागजी कार्रवाई नहीं होती।

जिस कारण पैसा न लौटाने की स्थिति में लेन देन का कोई सबूत नहीं होता। चिटफंड कंपनियां और कमेटी के जरिए हो रही ठगी बिना पंजीकरण के चिटफंड कंपनियों का धंधा पूरे प्रदेश में जोरों से चल रहा है।

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