कोरोना की तरह डेेंगू में भी आंकड़ों की जादूगरी जारी

मंदसौर। जिले में बेकाबू हुए डेंगू का कारण नगरपालिका की लापरवाही है। हर साल सप्लाई व्यवस्था पर पांच करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, फिर दम तोड़ रही सफाई व्यवस्था से हालात बेकाबू हो गए हैं।

अभी भी खाली भूखंडों में जमा पानी और नालों में कचरे के कारण जमा बारिश का पानी डेंगू के मरीजों का आंकड़ा बढ़ा रहा है। इधर कोरोना की तरह डेंगू में भी आंकड़ों की जादूगरी जारी है।

सरकारी आंकड़े जरूर चालीस से पचास डेंगू पॉजिटिव बता रहे हैं, लेकिन जिले भर में लगभग दो हजार मरीज रोजाना सामने आ रहे हैं।

निजी लैबों, जिला अस्पताल और निजी अस्पतालों की भीड़ इस बात की गवाही दे रही है। इधर अस्पतालों में भी जगह नहीं बची है। इस कारण स्वास्थ्य विभाग को भी पसीने छूट रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने देश को स्वच्छ बनाने के लिए अभियान की शुरुआत की। हालांकि छ: साल बाद भी विशेष लाभ मिलता नहीं दिख रहा है। नपा द्वारा सफाई व्यवस्था पुराने ढरेँ पर है।

शहर में जगह-जगह खाली प्लॉट कचरा मैदान बनते जा रहे हैं। दशरथनगर, सम्राट मार्केट, कालाखेत, सहित कई जगह गंदगी से लोग परेशान हैं। खाली भूखंडों में बारिश के जमा पानी भी खतरनाक साबित हो रहा है।

बेलगाम डेंगू प्रदेश के कई हिस्सों में कहर बरपा रहा है। चिंता की बात यह है कि मंदसौर में सबसे ज्यादा प्रभाव इसका नजर आ रहा है।

मंदसौर प्रदेश में डेंगू का हॉट स्पॉट बना हुआ है। प्रदेश में इस साल डेंगू मरीजों की संख्या तीन हजार के पार पहुंच गई है। मंदसौर में गत 24 घंटे में 50 डेंगू के मरीज मिले हैं।

इसके साथ ही यहां कुल 936 मरीज हो गए हैं। यह सिर्फ  सरकारी आंकड़ा है। हकीकत यह है कि संख्या हजारों में पहुंच गई है। शहर में दस बड़े और 40 छोटे नाले हैं। इनके अलावा नालियों की गिनती नहीं है।

बड़े नालों में गंदगी भरी होने से बरसात का पानी भी बाहर नहीं निकल पा रहा है। बारिश के पहले एक बार रस्मी तौर पर नालों की सफाई की जाती है। बाकी सालभर इनकी तरफ देखते भी नहीं हैं।

इसके चलते नाले भरे हुए हैं। हर में बंडीजी के बाग क्षेत्र से किला रोड तरफ जा रहा नाला, मोतिया खाई नाला, नरसिंहपुरा नाला, मदारपुरा नाला, महू-नीमच राजमार्ग से लगा हुआ नाला सहित अन्य बड़े नाले हैं, जो कीचड़ से भरे हुए हैं।

इसके अलावा इनमें गंदा पानी लाने वाले लगभग 35 छोटे नाले हैं वह भी जाम हो रहे हैं और उनका गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। जिले में डेंगू के लगभग पांच सौ से अधिक मरीज उपचाररत हैं।

इनकी प्लेटलेट्स की जरूरत पूरी करने में मंदसौर जिला अस्पताल की ब्लड सेपरेशन मशीन नाकाम ही हो रही है। यह मशीन एक यूनिट ब्लड से 50 से 80 एमएल प्लेटलेट्स ही निकाल पाती है और इसके एक बैग से पांच हजार प्लेटलेट्स ही बढ़ते हैं।

इसलिए इसकी तीन-चार यूनिट लगाना पड़ती है। झालावाड़ में मशीन से मिलने वाले एसडीपी (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स) से एक यूनिट में ही 50 हजार प्लेटलेट्स तक बढ़ जाते हैं।

मंदसौर की मशीन पर ज्यादा काम हो रहा है तो चिकित्सक यह आशंका भी जता रहे हैं कि ओवरलोड काम करने पर बंद भी हो सकती है।

केंद्र ने देश को साफ बनाने के लिए चार साल पहले स्वच्छता सर्वेक्षण की शुरुआत कर सफाई व्यवस्था के लिए प्रतिस्पर्धा शुरू की। इससे लोगों में जागरूकता आई, लेकिन सरकारी तंत्र तो और ज्यादा सो गया।

नपा में 40 वार्डों के लिए करीब 700 सफाई कर्मचारी हैं। इस औसत में एक वार्ड के लिए नपा के पास करीब 18 सफाई कर्मचारी हैं। इसके बाद भी शहर में कई जगह गंदगी के ढेर, नालियां जाम हो रही हैं।

स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में नपा ने 3844 अंकों के साथ देश में 50वां स्थान प्राप्त किया था। मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। अस्पताल में 20 से 30 मरीज डिस्चार्ज तो 40 से 50 भर्ती हो रहे हैं।

व्यवस्था के लिए हमने पोरवाल, काबरा वार्ड के साथ आई वार्ड में भी वायरल मरीज भर्ती कर रखे हैं। इसके बाद कोरोना के लिए तैयार आईसीयू व आइसोलेशन वार्ड में भी मरीज रख रखे हैं। मरीज अधिक होने पर स्थिति बिगड़ जाती है।

अस्पताल प्रबंधक अतिरिक्त  बेड की व्यवस्था कर रहे हैं। वर्तमान में डेंगू व वायरल का प्रकोप चलने से बड़ी संख्या में बच्चे भी बीमार हो रहे हैं। कुछ निजी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।

शिशु वार्ड में पीआईसीयू निर्माण के चलते अभी जिला अस्पताल परिसर स्थित रेडक्रॉस प्रतीक्षालय में शिशु वार्ड संचालित है।

यहां 27 पलंग हैं सभी फुल हैं। कुछ को डेंगू वार्ड में रखते हैं उसके बाद पलंग खाली होते ही वापस ले आते हैं। इस तरह व्यवस्था बनाई जा रही है।  

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker