चीन पाकिस्तान के बीच नया परमाणु समझौता दुनिया के लिए साबित हो सकता बेहद खतरनाक

दिल्ली: पाकिस्तान और चीन के बीच नए परमाणु समझौते को लेकर दुनिया भर के एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह दुनिया को नए सिरे से परमाणु संघर्ष की ओर धकेल देगा। सेंटर ऑफ़ पॉलिटिकल एंड फॉरेन अफेयर्स थिंक टैंक ग्रुप के प्रमुख फैबियन बॉसार्ट ने इसे एक खतरनाक परमाणु समझौता बताया है।

बता दें कि 8 सितंबर को पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन (PAEC) और चीन झोंगयुआन इंजीनियरिंग सहयोग द्वारा गहन परमाणु ऊर्जा सहयोग पर रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ यह समझौता अगले 10 सालों तक के लिए वैध रहेगा। समझौते में न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर, यूरेनियम खनन और प्रसंस्करण, न्यूक्लियर फ्यूल की आपूर्ति और रिसर्च रिएक्टर्स की स्थापना की बात कही गई है, जिससे पाकिस्तान को अपने परमाणु हथियारों के भंडार को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

बॉसार्ट ने बताया है कि चीन के लिए एक उन्नत न्यूक्लियर पाकिस्तान भारत की सैन्य ताकत का मुकाबला करने के लिए एक भावी रणनीति के तहत है। पाकिस्तान में चार नए प्लांट तैयार हैं। दो प्लांट कराची (K4/K5) और दो प्लांट मुजफ्फरगढ़ (M1/M2) में हैं। इन चारों प्लांट में चीन की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके साथ ही चीन पाकिस्तान के सभी न्यूक्लियर पॉवर प्लांट्स के संचालन और रखरखाव में अपनी भागीदारी और मजबूत करेगा। भविष्य में चीन और पाकिस्तान के बीच कई और न्यूक्लियर समझौते संभव हैं।

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