आलीशान होटल को बचाने सरयू-पैसुनी के सीमांकन से मुंह मोड़ रहा जिला प्रशासन

सतना। क्या नियमविरुद्ध तरीके से बन रहे आलीशान होटल को बचाने के लिए सरयू-पैसुनी के सीमांकन से मुंह मोड़ा जा रहा है या फिर जिला प्रशासन सीमांकन के लिए उदासीनता बरत रहा है? सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि तकरीबन एक माह पूर्व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मंदाकिनी संरक्षण के लिए लगाई गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सतना कलेक्टर को निर्देश दिए थे एक माह के भीतर सरयू-पैसुनी का डिमार्केशन और सीमांकन कराया जाय जो अब तक नहीं हो सका है।

चित्रकूट के भू कारोबारियों पर उप्र प्रशासन भी मेहरबान बना हुआ है। सती अनुसुइया से उद्मित होने वाली मंदाकिनी न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि एमपी-यूपी के सैंकड़ों गांव के लिए लाइफलाइन भी है लेकिन शातिर भू कारोबारियों ने अब सीमा को ही अपनी ताकत बना लिया है।

बतया जाता है कि होटल निर्माण के लिए जब मप्र सरकार की ओर से दिक्कतें हुई तो उप्र सरकार से निर्माण की अनुमति ली गई।

सूत्रों के अनुसार मंदाकिनी के कैचमेंट एरिया में भाजपा नेताओं की सरपरस्ती पर बन रहे इस होटल की अनुमति कार्बी चित्रकूट जिला प्रशासन ने दी है।

जानकारों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि इसकी अनुमति किस आधार पर दी गई है, जबकि नदी के सी मीटर के दायरे में नए निर्माणों पर रोक लगी हुई है।

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