आदिवासियों और मालवा में भाजपा की गिरती साख से आलाकमान चिंतित?

भोपाल। मध्यप्रदेश में एक समय मालवा प्रांत जो संघ की प्रयोगशाला हुआ करती थी आज उसी मालवा में भाजपा के चंद नेताओं की कार्यशैली की बदौलत भाजपा की साख कमजोर हो गई उनकी साख बनाने के लिए उसे काफी मेहनत करनी पड़ रही है ।

यह स्थिति केवल मालवा की ही नहीं बल्कि प्रदेश के उन आदिवासी बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों की भी है, जैसे इंदिरा गांधी के समय में हुआ करती थी वैसी ही बनती जा रही है।

एक समय था जब आदिवासी लोग इंदिरा गांधी को इंदिरा मैया और स्वर्गीय राजीव गांधी को मोटा बाबू कहकर आदिवासी पुकारते थे, लेकिन आज उन्हीं आदिवासी क्षेत्रों में काम करने वाले नेताओं की कार्यशैली की वजह से कांग्रेस की स्थिति भी गड़बड़ा गई है।

झाबुआ, अलीरजपुर और धार क्षेत्रों के कांग्रेस के स्वयंभू आदिवासी नेताओं की बदौलत आज झाबुआ में जयस का उदय भी इसी कारण हुआ है हालांकि पिछले चुनाव में कांग्रेस ने इन क्षेत्रों में अपनी स्थिति बेहतर बना ली थी लेकिन मालवा में आज भी भाजपा की स्थिति कमजोर नजर आ रही है।

अब यह स्थिति है कि जो मालवा कभी भाजपा की प्रयोगशाला हुआ करती थी जिसकी वजह से वहां भाजपा का परचम फराया जाता था आज वही मालवा हरे-पीले रंग की गिरफ्त में है तो वहीं जिस मालवा में दिग्विजय सिंह की सरकार के समय कांग्रेस सरकार में बाघ, टांडा, कुक्षी, जोबट, झाबुआ आदि गांव में चर्च स्थापित हो गये थे ।

यही नहीं आदिवासियों का धर्म परिवर्तन भी चल रहा था उस समय भाजपा नेताओं द्वारा भेजे गये धर्मवीरों ने इन क्षेत्रों में घर-घर शिवालयों की स्थापना की और गांव-गांव में जाकर बैठकों का आयोजन तो किया तो यात्राएं भी खूब निकाली जिसकी बदौलत वहां भाजपा की साख कायम हो सकी।

मगर 2002 में हिन्दू संगम झाबुआ का आयोजन किया गया जिसमें बड़े-बड़े संतों सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया कभी संघ की प्रयोगशाला रहे  ।

मालवा प्रांत मैं चहुँ और भगवा लहराता था आज  पुन: हरे ,पीले की गिरफ्त मैं दिग्विजयसिंह की कांग्रेस सरकार मैं बाग टांडा कुक्षी जोबट ,झाबुआ गाँव गाँव चर्च स्थापित हो गए थे आदिवासियों  का धर्मरांतरण जोरो पर चल रहा था तभी गाँव गाँव धर्मवीर भेजे गए घर घर देवालयो कि स्थापना की गई गाँव गाँव बैठकें धर्म यात्रा निकाली गई ।

2002 मे हिन्दू संगम झाबुआ का आयोजन किया गया संत संघ प्रमुख सहित भाजपा के  कई छोटे नेता लगे इस कार्यक्रम मे इंदौर धार जिले सहित संघ के सैक कार्यकर्ता धर्मवीर ऐसे समय दानी निकले और ईसाई मिशनरी को समाप्त किया इसका भाजपा को भी निमाड आँचल मैं जमीन मिली जमीन मिली।

 ऐसा ही संघ के पूर्व प्रचारक नवल किशोर शर्मा  के नेतृत्व मैं धार का 2003 मैं शुरू हुवा धर्म जागरण जागरण अभियान  भोजशाला मुक्ति आंदोलन  जो देखा जाए तो  रामजन्मभूमि आंदोलन से है ।

 भोजशाला आंदोलन हेतु धार जिले के 1334 गाँवो मे धर्मरक्षा समिति  का गठन  धर्मविरो की टोली बनाई गई 1 ब?ी यात्रा निकाली गई जो जिले 267 स्थानों पर गई 53 सभाओं मैं 60 हजार लोगों की सहभागिता रही लाखों लोगों ने पूजन किया साथ ही 39 उप यात्रा भी निकाली गई ।

जो 1334 ग्रामों की परिक्रमा कर धर्मसभा की जिसमें 1 लाख 35 हजार लोगों ने रथयात्रा मैं 9 लाख लोगों ने पूजन कर भोजशाला मुक्ति का संकल्प लिया 6 फरवरी को धर्मरक्षक संगम 1001 जो द्वारा महा यज्ञ 5 लाख आहुतियां हजारों लोगो द्वारा भोजशाला दर्शन 7 फरवरी मातृशक्ति संगम 10 हजार माता बहिनों द्वारा भोजशाला मुक्ति संकल्प 35 हजार परिवारों से 80 लाख रोटियों का संग्रह ,20 टन (2ट्रक)लोंजी का निर्माण सवालाख लोगो का भोजन 5 हजार महिला पुरषो का पूजा के अधिकार के लिए संघर्ष  235 स्थानों पर हजारों लोगों द्वारा 18 घण्टे  चक्काजाम 20 थानों पर 40 हजार लोगों की गिरफ्तारी और 8 अप्रैल को भोजशाला के ताले खुलवा कर पूरे मॉलवा मैं दिग्विजय सरकार को रसातल मैं पहुचा कर भगवा सरकार बनाने वाला मालवा आज  हरा हो रहा हैं।

उज्जैन, इंदौर,धार ,शाजापुर,खण्डवा, सेंधवा जिले हरे होता जा रहे हैं संघ का ग? रहा मॉलवा अब तालिबानी बनते जा रहा हैं देश विरोधी नारे लग रहे हैं हिंदुओं के साथ मारपीट लव जेहाद शासकीय भूमि पर लैंड जेहाद  चरम पर हैं दिनप्रतिदिन हिन्दू विरोधी घटनाओं मैं बत्तरी हो रही हैं निमाड मैं भी जस की आ?

मैं पुन: ईसाई मिशनरी सक्रिय होकर चौगुनी ताकत से कार्य कर रही हैं बाग टांडा क्षेत्र  मैं पैसों के बल पर आदिवासियो का धर्मांतरण हो रहा हैं इन दो आंदोलनों मैं लगने वाले धर्मवीर संघ जमीनी कार्यकर्ता  शिवराज सरकार के आते ही वर्तमान मे  घोर उपेक्षा का शिकार हैं चाटुकार अवसरवादी आज मलाई काटने मैं लगे हैं  सरकार बनाने मे सहायक संघ के जमीनी कार्यकर्ताओं पर अपनी सरकार मैं अकारण पुलिस द्वारा झूठे प्रकरणों मैं दो दो महीने जेल मैं रहना प? रहा हैं अपनी ही सरकार मैं प्रदेश भर मैं संघ को ज्ञापन देने प?

रहे हैं अफसर शाही चल रह हैं  यदि यही हाल रहा तो आगामी विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों मैं भाजपा को हरे और पीले से ल?ने वाले भगवे की उपेक्षा भाजपा को मालवा निमाड मैं भारी प?ेगी
बड़वानी में हुए आदिवासी सम्मेलन से भाजपा चिंतित हो गई है।

आदिवासी अधिकार यात्रा के समापन पर कांग्रेस ने यह जमावड़ा आयोजित किया था। इसमें उमड़ी भीड़ से भाजपा नेताओं की परेशानी पर चिंता की लकीरें हैं। पार्टी निमाड़ क्षेत्र में अपना नेटवर्क मजबूत करने के लिए नए सिरे से तैयारी कर रही है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश प्रभारी शिवकुमार की तिकड़ी आदिवासी मोर्चा संभालेगी।

पार्टी की फौरी तौर पर चिंता तो खंडवा लोकसभा और जोबट विधानसभा की है जहां आदिवासी मतदाता निर्णायक हैं, लेकिन 2023 को लेकर भी पार्टी अभी गंभीर है।

2018 में मालवा और निमाड़ क्षेत्र से ही भाजपा को हार मिली थी। जिसके कारण प्रदेश में उसकी सरकार वापसी नहीं कर सकी थी। इस बार ऐसा ना हो इसके लिए पार्टी अभी से गंभीर है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों को रिझाने के लिए हर संभव प्रयत्न कर रहे हैं। वे गत दिवस बुरहानपुर गए और वहां उन्होंने अनकों घोषणाएं भी की।

पॉलिटिकल मैनेजमेंट के महारथी कमलनाथ ने सोची-समझी रणनीति के तहत आदिवासी कार्ड खेला है। कमलनाथ ने नीमच का प्रकरण, नेमावर में एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या जैसे मुद्दे उठाकर भाजपा को घेरने की कोशिश की है।

भाजपा की ओर से भी प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने मोर्चा संभाला है। इससे जाहिर है कि भाजपा कांग्रेस के इस आदिवासी सम्मेलन को कितनी गंभीरता से ले रही है।

प्रदेश कांग्रेस ने इस आदिवासी अधिकार यात्रा का प्रभारी रवि जोशी को बनाया था। जिन्होंने रात दिन परिश्रम कर इस को सफल बनाया।

कार्यक्रम में भीड़ देखकर कमलनाथ भी प्रसन्न नजर आए। मालवा निमाड़ अंचल भाजपा का गढ़ हैं, लेकिन 2018 के चुनाव में यहां की 66 में से भाजपा केवल 25 सीटें मिली थीं।

इस क्षेत्र में करीब एक करोड़ आदिवासी रहते हैं जो करीब 40 विधानसभा क्षेत्र में प्रभारी हैं। इस दृष्टि से मालवा निमाड़ का आदिवासी समुदाय कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।

कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल निमाड़ अंचल में जयस के बढ़ते प्रभाव से चिंतित हैं। प्रदेश कांग्रेस ने जयस के प्रभाव को काउंटर करने और भाजपा को चुनौती देने के लिए यह सम्मेलन रखा था।

सूत्र बताते हैं कि भाजपा भी जल्दी ही पलटवार करेगी और आदिवासी समुदाय में कड़े कार्यक्रम कर सकती है। 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

प्रदेश की सत्ता का रास्ता मालवा निमाड़ से होकर ही गुजरता है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां भाजपा को पराजित कर सत्ता में वापसी की थी। 2018 में आदिवासी समुदाय ने भाजपा को वोट नहीं दिया था जिसका खामियाजा उसे उठाना पड़ा।

भाजपा इस अंचल की आदिवासी सुरक्षित सीट ही जीत पाई थी। बाद में झाबुआ सीट के विधायक गुमान सिंह डामोर ने इस्तीफा दे दिया था। इस सीट पर हुए उपचुनाव में कांगे्रस के कांतिलाल भूरिया ने फिर जीत दर्ज की थी।

पिछले वर्ष हुए 28 उपचुनाव में भाजपा ने नेपानगर और मंधाता की सीटें जीतकर आदिवासियों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है।

भाजपा ने इस क्षेत्र से डॉक्टर सुमेर सिंह सोलंकी को राज्यसभा में भेजकर भी आदिवासियों को यह संकेत दिया है कि पार्टी उनके साथ है।

मालवा निमाड़ अंचल की खरगोन, धार, झाबुआ तीनों आदिवासी सुरक्षित लोकसभा सीट भाजपा के पास है। मालवा निमाड़ अंचल के आदिवासियों में संघ परिवार का अच्छा खासा नेटवर्क है। इस नेटवर्क को नए सिरे से मजबूत किया जाएगा।

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