तालिबान राज पर UNSC में भारत के प्रस्ताव से दूर रहे रूस और चीन

अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद किसी दूसरे देश के खिलाफ जमीन का इस्तेमाल न होने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से भारत की अगुवाई में पारित हुआ है।

इस प्रस्ताव को लेकल भारत की सक्रिय भूमिका थी, जो तालिबान राज आने के बाद अफगान धरती के गलत इस्तेमाल को लेकर चिंतित है।

हालांकि सोमवार को पारित हुए इस प्रस्ताव पर वोटिंग से चीन और रूस गायब रहे, जो तालिबान का खुला समर्थन कर रहे हैं। यही नहीं भारत के कट्टर प्रतिद्वंद्वी चीन ने कहा कि आखिर इस प्रस्ताव की जरूरत क्या है और यदि लाना भी है तो फिर इतनी जल्दी क्यों है।

यही नहीं इस दौरान चीन ने कहा कि वैश्विक समुदाय को तालिबान से बात करनी चाहिए और उन्हें गाइड करना चाहिए।

चीन से भी एक कदम आगे जाते हुए रूस ने तो अफगानिस्तान से लोगों को निकाले जाने का भी विरोध किया।

रूस ने कहा कि हाई स्किल और प्रोफेशनल अफगानियों को देश से बाहर निकालेंगे तो अफगानिस्तान सामाजिक और आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हो जाएगा और विकास नहीं कर पाएगा।

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र से पारित प्रस्ताव में चीन इस्लामिक स्टेट के अलावा ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट का नाम भी शामिल कराना चाहता था।

बता दें कि हाल ही में काबुल एयरपोर्ट पर हुए दो आतंकी हमलों की जिम्मेदारी भी इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकी संगठन ISIS-K ने ही ली थी।

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