पानी के नए कनेक्शनों की संख्या से कम है 200 देशों की आबादी

जरा सोचिए, घने जंगलों के बीच सुदूर पहाड़ी पर बसा 200 परिवारों का एक छोटा सा गांव। यहां न बिजली है, न ही पक्की सड़क।

यह चौंकाने वाला मंजर है, आंध्र प्रदेश के वेलियारपैड मंडल स्थित काकिसनूर गांव का। इस दुर्गम क्षेत्र में विकास भले नहीं हुआ हो, लेकिन प्रत्येक घर में नल से निरंतर शुद्ध पेयजल जरूर मिलने लगा है।

यह संभव हुआ है जल शक्ति मंत्रालय के जल जीवन मिशन से। हाथ से चलाई जाने वाली ड्रिलिंग मशीनों को एक नाव पर लादकर मिशन की टीम करीब 20 किलोमीटर का कठिन सफर तय करके गोदावरी नदी के किनारे बसे इस गांव में पहुंची।

नदी की धारा के करीब बोरवेल ड्रिल किया, सौर ऊर्जा आधारित दोहरा पंप लगाया और पूरे गांव में गुणवत्तापूर्ण पेयजल की आपूर्ति बहाल कर दी।

जल जीवन मिशन की टीम, अपने सिद्धांत वाक्य-‘समानता और समावेश यानी कोई छूटे नहीं’ का अनुसरण करते हुए हर ग्रामीण परिवार को निरंतर और उचित मात्रा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है।

यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश के टशीगंग गांव में बने दुनिया के सबसे ऊंचे (15 हजार 256 फीट) मतदान केंद्र में नल से जल का कनेक्शन पहुंचा दिया गया है।

यहां अब बर्फ बिघलने का इंतजार या फिर खच्चरों पर पानी लाने की कठिनाई नहीं झेलनी पड़ रही है। ये तो महज कुछ बानगियां हैं।

ऐसी दर्जनों अन्य कहानियां हैं, जो देश के ग्रामीण अंचलों में घर—घर नल से जल पहुंचाने के लिए जलशक्ति मंत्रालय के जल—जीवन मिशन के सफर के संघर्ष और सफलता, टीम की मुस्तैदी तथा समर्पण की कहानी बयां करती हैं। 

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker