चाकू खोंसकर चलते हैं अपराधी

रायपुर।  राजधानी में चाकूबाजी की घटनाएं बढ़ गई हैं। आलम यह है कि अपराधी दिलेरी से पैंट में चाकू खोंसकर चलते हैं और किसी पर भी जानलेवा हमला कर देते हैं। वे महिलाओं पर भी वार करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

पिछले दिनों शहर में एक युवती पर बदमाशों ने चाकू से हमला किया। पुलिस ने 15 अगस्त के दौरान सक्रियता दिखाई, रात्रिकालीन गश्त की, लेकिन समस्या का निदान नहीं हुआ।

अपराधियों में पुलिस का खौफ ही नहीं है। कुछ माह पहले पुलिस ने कई बदमाशों को पकड़कर उनसे चाकू बरामद किए थे। कई चाकूबाजों के माता-पिता ने खुद थाने जाकर चाकू जमा कराए थे।

आनलाइन चाकू मंगाने वालों पर भी पुलिस नजर रख रही थी, लेकिन यह अभियान ठंडा पड़ गया। नतीजतन अपराधी फिर से चाकू लेकर बेखौफ घूमने लगे और दिनदहाड़े हमला कर रहे हैं। पुलिस एक बार फिर सक्रिय अभियान चलाए।

शहर के एक अधिकारी का मजेदार तकिया कलाम है-‘तभी तो मैं साहब हूं!” उनका यह तकिया कलाम उनके कार्यालय में तो चलता ही है, घर और कालोनी में भी खूब लोकप्रिय है।

पत्नी और बच्चे भी कभी-कभी इस पर आनंद ले लेते हैं। साहब हैं भी हर मर्ज की दवा। जो काम किसी से नहीं होता, उसे वे चुटकियों में कर देते हैं।

किस कर्मचारी से कैसे काम लेना है, यह हुनर उन्हें बखूबी आता है। कई कामचोरों से उन्होंने जीतोड़ काम कराकर ही दम लिया।

जब भी किसी कर्मचारी ने उनके इस हुनर की तारीफ की तो उन्होंने अपना यह डायलाग फौरन पेश कर दिया, लेकिन कोई यह न सोचे कि उनकी खुशामद करके उनका दिल जीत लेगा और काम से बच जाएगा। यह सोचना उसकी बड़ी भूल होगी। वे उसे भी बेरहमी से निचोड़ लेते हैं। जी हां, तभी तो वे साहब हैं!

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