अफगानिस्तानियों को मिला जर्मनी में सहारा

जर्मनी और नीदरलैंड्स ने अफगानिस्तान में बढ़ते तनाव के कारण अफगानों को अस्थायी रूप से रहने की अनुमति दी है, जो राजनीतिक शरण लेने में विफल रहे हैं। इससे अपने ही वतन से बेघर होकर निकले अफगानियों को बड़ा ठिकाना मिला है।

जर्मन गृह मंत्रालय ने बुधवार को डीडब्ल्यू को बताया कि अफगानिस्तान में अस्थिर सुरक्षा स्थिति के कारण अफगान नागरिकों का निर्वासन अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।

 यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी के साथ तालिबान तेजी से देश पर नियंत्रण हासिल कर रहा है। अब तक कई प्रांतीय राजधानियों समेत देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर चुका है। 

बुधवार को तालिबान ने उत्तर पूर्व में बदख्शां प्रांत की राजधानी फैजाबाद पर भी कब्जा कर लिया। इसके साथ ही आठ राज्यों की राजधानियों पर उसका पूर्ण कब्जा हो चुका है। कंधार शहर में भी तेज लड़ाई जारी है।

 जर्मनी के गृह मंत्री हॉर्स्ट जेहोफर के मुताबिक, ‘जिन लोगों को जर्मनी में रहने का कोई अधिकार नहीं है, उन्हें देश छोड़ देना चाहिए, लेकिन एक संवैधानिक राज्य अपनी जिम्मेदारियों को समझता है और यह सुनिश्चित करना चाहता है कि देश से निकालने से उनकी जिंदगी खतरे में ना पड़ जाए।’ 

जेहोफर ने पहले संघर्ष के बावजूद निर्वासन का समर्थन किया था, अब बुधवार के फैसले का बचाव किया है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता स्टीव ऑल्टर ने बुधवार को कहा कि जर्मनी से करीब 30,000 अफगानों को वापस भेजा जाना है। 

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मंत्रालय का अभी भी मानना ​​है कि ये वे लोग हैं, जिन्हें जल्द से जल्द जर्मनी छोड़ना है।’ 

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