बाढ़ अतिवृष्टि ने लील ली डेढ़ अरब की खरीफ की फसलें

बाढ़ग्रस्त गांवों में शत प्रतिशत अन्य में 90 फीसदी फसलें नष्ट
एक हेक्टेयर में करीब 50 हजार का नुकसान होने का अनुमान

भरुआ सुमेरपुर। बाढ़ एवं अतिवृष्टि ने किसानों को बड़ी चपत लगाई है. एक सर्वे के अनुसार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में शत प्रतिशत तथा अतिवृष्टि से 90 फीसदी खरीफ की फसलें तबाह हुई है.

कृषि विभाग भी मान रहा है कि इस वर्ष किसानों का बड़ा नुकसान हुआ है. बाढ़ एवं बारिश से अरहर, ज्वार, उड़द, मूंग, मूंगफली, बाजरा, मक्का, तिल आदि की फसलें जलभराव के कारण नष्ट हुई है.

ब्लॉक की 57 ग्राम पंचायतों में कुल 51648 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है. जिसमें किसान प्रति वर्ष खरीफ एवं रबी की फसलें बोकर जीवन यापन करता है.

इस वर्ष तकरीबन 36153 हेक्टेयर में खरीफ की फसलें किसानों ने बोई थी. अभी यह उगकर कुछ ही बड़ी हो सकी थी. इसी बीच दैवीय आपदा की चपेट में आकर किसानों के हाथ से फिसल गई.

किसानों के अनुसार एक हेक्टेयर में तकरीबन 50 हजार की फसल प्राप्त हो जाती है. इस लिहाज से ब्लॉक में एक अरब 80 करोड़ 76 लाख 50 हजार की खरीफ की फसलें नष्ट हुई हैं. यह किसानों के लिए बड़ा झटका है.

बेतवा की बाढ़ से कुम्हऊपुर, मोराकांदर, परसनी, पौथिया, सहुरापुर, कलौली तीर, बरदहा सहजना, अमिरता, हेलापुर, पारा ओजी, टिकरौली, कारीमाटी, बड़ागांव के किसानों की खरीफ की फसलें शत-प्रतिशत नष्ट हो गई हैं.

यमुना नदी की बाढ़ से पत्योरा, छोटा कछार, बड़ा कछार, सुरौली बुजुर्ग, बरुआ, भौंरा की फसलें तबाह हुई है. जबकि अतिवृष्टि से शेष पंचायतों के किसानों की 90 फ़ीसदी फसलें जलभराव के कारण नष्ट हुई है.

किसान रामकिशोर सिंह, सुरेश यादव, मानसिंह, विजय सिंह यादव, रामेश्वर वर्मा आदि ने बताया कि आषाढ़ मास में देर से बारिश होने के कारण किसान खरीफ की फसलें देर से बो सका था. सावन मास में अधिक बारिश होने से खेत में हुए जलभराव से फसलें सडकर नष्ट हो गयी.

इक्का-दुक्का किसानों के पास ही कुछ फसलें बची है. किसानों के अनुसार इस वर्ष खरीफ की फसलों से किसानों को अब कुछ हासिल होने वाला नहीं है. अब केवल रबी की फसलों से ही उम्मीद बची है. किसानों ने बताया कि खरीफ में सबसे ज्यादा तिल का उत्पादन होता है.

ज्यादा बारिश के कारण यह सभी जगह नष्ट हो गया है. ऊंचाई वाले कुछ क्षेत्रों में भले ही कुछ बाकी रह गया हो. शेष जगहों पर यह साफ हो गई है. कृषि विभाग का भी मानना है कि इस वर्ष खरीफ की फसलों से किसान हाथ धो बैठा है.

महज धान की फसल से ही कुछ उम्मीद बची है. कृषि रक्षा इकाई के तकनीकी सहायक अजित कुमार शुक्ला ने बताया कि बाढ़ ग्रस्त गांवो में खरीफ में कुछ भी नहीं बचा है. शेष गांवो में अतिवृष्टि से 90 फीसदी फसलें चौपट हो गयी हैं.

सोमवार को डेढ़ घंटे तक पूरे क्षेत्र में हुई मूसलाधार बारिश ने बची खुची उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया. जल जमाव हो जाने से खेतों में खड़ी फसलें भी नष्ट हो गई हैं. इस वर्ष खरीफ की फसलें क्षेत्र में नगण्य हो गई है।

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