गुरु-शिष्य
एक गुरु और शिष्य किसी गांव में जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें डाकुओं ने घेर लिया। तलाशी लेने पर उन्हें एक कमण्डल के अतिरिक्त कुछ न मिला तो डाकुओं का सरदार कड़क कर बोला कि हमारा नियम है कि यदि हमें लूटने के लिए कुछ नहीं मिलता तो हम किसी एक की हत्या कर देते हैं। तुम दोनों में से बताओ कि कौन मरने के लिए तैयार है? गुरु जी आगे बढ़ कर बोले, आप मेरा सिर काट सकते हैं।
मैं अपनी आयु भोग चुका हूं। मेरा शिष्य अभी युवा है। देश व समाज को इसकी आवश्यकता है। गुरु की बात सुनकर शिष्य की आंखों में आंसू भर कर बोला, ‘मेरे गुरु जीवित रहेंगे तो मेरे जैसे हज़ारों शिष्य निर्मित कर देंगे, लेकिन हम हज़ार लोग मिलकर भी ऐसे गुरु का निर्माण नहीं कर पाएंगे अत: आप मुझे मौत के घाट उतार दीजिए। गुरु-शिष्य का समाज के प्रति समर्पण व आपसी प्रेम देख कर डाकुओं ने उन्हें जाने दिया।